शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. धर्म-दर्शन
  3. धार्मिक स्थल
  4. Jai durga shakti peeth Deoghar jharkhand

51 Shaktipeeth : जय दुर्गा वैद्यनाथ देवघर झारखंड शक्तिपीठ-24

51 Shaktipeeth : जय दुर्गा वैद्यनाथ देवघर झारखंड शक्तिपीठ-24 - Jai durga shakti peeth Deoghar jharkhand
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार वैद्यनाथ जय दुर्गा देवघर झारखंड शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
जयदुर्गा वैद्यनाथ शक्तिपीठ : झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम जहां माता का हृदय गिरा था, जिस कारण यह स्थान ‘हार्दपीठ’ से भी जाना जाता है। इसकी शक्ति है जयदुर्गा और शिव को वैद्यनाथ कहते हैं। बैद्यनाथ धाम में भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नौवां ज्योतिर्लिग है। यह भारत देश का एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां ज्योतिर्लिंग के साथ शक्तिपीठ भी है। यही कारण है कि इस स्थल को ‘हृदय पीठ’ या ‘हार्द पीठ’ भी कहा जाता है।
 
देवघर की शक्ति साधना में भैरव की प्रधानता है और बैद्यनाथ स्वयं यहां भैरव हैं। इनकी प्रतिष्ठा के मूल में तांत्रिक अभिचारों की ही प्रधानता है। तांत्रिक ग्रंथों में इस स्थल की चर्चा है. देवघर में काली और महाकाल के महत्व की चर्चा तो पद्मपुराण के पातालखंड में भी की गयी है।
ये भी पढ़ें
51 Shaktipeeth : सर्वाणी कन्याश्रम कन्याकुमारी तमिलनाडु शक्तिपीठ-30