हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे॥
उपरोक्त मंत्र की विधि अत्यंत ही सरल है। आप सिर्फ रात-दिन जब भी समय मिले, इस मंत्र का जप शुरू कर दें और प्रभु से प्रेम रखें।
लगन लगाकर जप करें। शनैः शनैः जैसे-जैसे जपकर्ता के जप अधिकाधिक होंगे, वैसे-वैसे ही सुख की ओर अग्रसर होंगे।
संत गुरुनानक ने भी इसका समर्थन करते हुए लिखा-
सुमिरन कर ले मेरे मना, तेरी बीती उमर हरि नाम बिना। जैसे तरुवर फल बिन हीना, तैसे प्राणी हरि नाम बिना।
संत रसखान ने भी राम-कृष्ण के भक्ति गीत गाए-
मानुष हौं तो वही रसखानि, बसौ ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बसु मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मंझारन॥
संत कबीर के कुछ पद यहाँ उद्धृत किए जा रहे हैं, जिसमें राम-कृष्ण भक्ति है-
घूँघट का पट खोल री, तोहे पीव मिलेंगे। घट-घट रमता राम रमैया, कटुक बचन मत बोल रे॥
प्रेम दीवानी मीरा ने गाया है-
पायोजी मैंने राम-रतन धन पायो... मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
भक्त प्रहलाद कहते हैं : कलयुग में जो प्रतिदिन 'कृष्ण', 'कृष्ण' उच्चारण करेगा, उसे नित्य 10,000 यज्ञ तथा करोड़ों तीर्थों का फल प्राप्त होगा।
'राम', 'राम', 'राम', 'राम' इस प्रकार बार-बार जप करने वाला चांडाल हो तो भी वह पवित्रात्मा हो जाता है, इसमें संदेह नहीं! केवल नाम का उच्चारण करते ही कुरुक्षेत्र, काशी, गया और द्वारका आदि संपूर्ण तीर्थों का सेवन कर लिया।
उपरोक्त उदाहरणों एवं शास्त्रों के मतानुसार अब आपको ज्ञान हो चुका होगा कि मात्र इस मंत्र श्रेष्ठ का उच्चारण व अखंड जप आपके शरीर में उपस्थित नकारात्मक ऊर्जा को बाहर फेंकेगा। साथ ही एक उच्च कोटि का साधक बनने व विघ्नों से लड़ने में वासुदेव अप्रत्यक्ष रूप सेआपकी सहायता करेंगे।
चैतन्य महाप्रभु की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) के संस्थापक श्रीमद् भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपादजी ने इसे महामंत्र के रूप में प्रतिष्ठित किया है।