मां शैलपुत्री : भय दूर करती है...
नवदुर्गा के नौ रूप औषधियों के रूप में भी कार्य करते हैं। यह नवरात्रि इसीलिए सेहत नवरात्रि के रूप में भी जानी जाती है। आइए जानते हैं नौ दुर्गा के औषधीय स्वरूप के बारे में।
प्रथम शैलपुत्री (हरड़)- प्रथम रूप शैलपुत्री माना गया है। इस भगवती देवी शैलपुत्री को हिमावती हरड़ कहते हैं। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है जो सात प्रकार की होती है। हरीतिका (हरी) जो भय को हरने वाली है।
पथया - जो हित करने वाली है।
कायस्थ - जो शरीर को बनाए रखने वाली है। अमृता (अमृत के समान) हेमवती (हिमालय पर होने वाली)।
चेतकी - जो चित्त को प्रसन्न करने वाली है। श्रेयसी (यशदाता) शिवा - कल्याण करने वाली।