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Written By गायत्री शर्मा

बॉस और कर्मचारी का रिश्ता

बॉस जो कर्मचारी को समझे

बॉस
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बॉस और कर्मचारी का रिश्ता एक 'गुरु-शिष्य' का रिश्ता होता है। इस रिश्ते में औपचारिकता कम परंतु आपसी समझ अधिक होती है। आमतौर पर 'बॉस' को हमेशा गुस्सैल, चिढचिढा व रौब जताने वाला समझा जाता है जबकि हकीकत में ऐसा कम ही होता है। अब समय बदलने के साथ-साथ इस रिश्ते में भी परिवर्तन आया है।

हमें अपने दोस्त या ऑफिस को चुनने की स्वतंत्रता तो होती है किंतु बॉस चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती है इसलिए बॉस चाहे खड़ूस हो या नम्र, कर्मचारी को उससे बेहतर रिश्ता बनाना ही पड़ता है। लेकिन ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती है। कर्मचारी के साथ-साथ बॉस को भी चाहिए कि वो अपने कर्मचारी के साथ अच्छा व्यवहार करे। यदि आप किसी टीम के टीम लीडर है या बॉस है तो आपके व्यवहार में भी वो बात होनी चाहिए, जिससे आपके कर्मचारी आपका दिल से सम्मान करे।

  यदि कोई बॉस ऐसा सोचता है कि मैंने अपना हूनर अपने कर्मचारियों को सीखा दिया तो वे मुझसे आगे निकल जाएँगे तो उसकी यह सोच सरासर गलत है। बॉस तो ऐसा होना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों के आगे बढने का मार्ग प्रशस्त करे न कि उनकी सफलता में अवरोध बने।      
बॉसगिरी से नहीं बनेगा काम :-
हर बॉस हमेशा अपने कर्मचारियों से सम्मान पाने की अपेक्षा रखता है। बॉस के सामने तो डर के कारण हर कोई उसका सम्मान करता है परंतु पीठ पीछे उतनी ही शिद्दत से उसकी बुराई भी करता है। जिसका कारण बॉस का कर्मचारियों के साथ सही तालमेल न बैठा पाना होता है।

यदि बॉस हमेशा अपने ओहदे का डर बताकर कर्मचारियों पर बॉसगिरी झाड़ते हुए केवल अपनी ही प्रसिद्धि पाने की ही सोचता रहगा तो वह कभी अपने कर्मचारियों का दिल नहीं जीत पाएगा। याद रखें यदि आप बॉस है तो आपको भी अपने कर्मचारियों को सम्मान देना सीखना होगा।

कर्मचारियों की हौसलाअफजाई करे :-
किसी भी कंपनी के बॉस में यह हूनर होना चाहिए कि वह कर्मचारियों से काम ले सके। बॉस की सफलता का राज उसके वे कर्मचारी होते हैं, जो अपना काम समय पर व ईमानदारी से करते हैं। बॉस की हर उपलब्धि व खुशी के मौके पर प्रत्येक कर्मचारी उसे बधाई देता है परंतु किसी भी कर्मचारी की सफलता पर बॉस नहीं, आखिर ऐसा क्यों ? यदि कोई कर्मचारी अच्छा कार्य करता है तो बॉस को भी चाहिए कि वो सबके सामने उसकी हौसलाअफजाई करे। बॉस के दो प्यार भरे शब्द कर्मचारी को और भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं।

सुबह अच्छी तो दिन सुहाना :-
सुबह-सुबह जब हर व्यक्ति ऑफिस में प्रवेश करते ही एक-दूसरे को गुड मार्निंग कहता है। जब वह अपने बॉस को गुड मार्निंग कहता है तब अगर बॉस के चेहरे पर उदासी होती है या बॉस उसके गुडमार्निंग का कोई जवाब नहीं देता है तो कर्मचारी को अपना शब्द बेफिजूल लगते हैं और धीरे-धीरे वह बॉस को गुड मार्निंग कहना भी छोड़ देता है।

यदि आप बॉस है तो जब भी आप ऑफिस में प्रवेश करे तो आपका मूड अच्छा होना चाहिए ताकि आपको देखकर आपके कर्मचारी भी खुश हो जाए। बॉस यदि उदास होकर कर्मचारियों के सामने बैठा रहेगा तो उसके साथ-साथ पूरे ऑफिस में उदासी छा जाएगी और किसी का भी काम में मन नहीं लगेगा। वहीं दूसरी ओर बॉस का मुस्कुराता चेहरा कर्मचारियों के साथ-साथ ऑफिस के माहौल को सहज बनाता है इसलिए हमेशा खुशियाँ बाँटे गम नहीं।

इतनी बॉसगिरी अच्छी नहीं :-
बॉस यदि ऑफिस में दोस्ताना व्यवहार रखे तथा अपने कर्मचारियों की हर परेशानी में उनकी मदद के लिए तैयार रहे तो वह बॉस सबसे कर्मचारियों के लिए प्रिय बॉस होता है। हमेशा कर्मचारियों पर रौब जताने वाला, आर्डर मारने वाला, उन्हें डराने वाला बॉस कभी एक अच्छा बॉस नहीं बन सकता है।

बाँटने से ज्ञान कम नहीं होता :-
यदि कोई बॉस ऐसा सोचता है कि मैंने अपना हूनर अपने कर्मचारियों को सीखा दिया तो वे मुझसे आगे निकल जाएँगे तो उसकी यह सोच सरासर गलत है। बॉस तो ऐसा होना चाहिए, जो अपने कर्मचारियों के आगे बढने का मार्ग प्रशस्त करे तथा उसका उचित मार्गदर्शन करें न कि उनकी सफलता में अवरोध बने।

बॉस और कर्मचारी का रिश्ता एक दोस्ताना रिश्ता भी बन सकता है। अपने कर्मचारी से मधुर संबंध बनाकर बॉस जहाँ सबका चहेता बॉस बन जाता है, वहीं अपने कर्मचारियों का दिल जीतकर वो उनके भरपूर उपयोग भी कर सकता है। प्यार और आपसी समझ के इस रिश्ते में औपचारिकता की बजाय सहजता लाए तो बेहतर होगा।