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Last Modified: रविवार, 17 जुलाई 2022 (23:23 IST)

महाराष्ट्र में 'शिवसैनिक' कौन? सुप्रीम कोर्ट में 20 जुलाई को सुनवाई, राउत ने कहा- फैसला आने तक राष्ट्रपति शासन लगाएं

Supreme court
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से संबंधित विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई 20 जुलाई को करेगा। इस संकट के कारण महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के कई विधायकों ने बगावत कर दी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। एक दिन बाद बागी गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। शिवसेना नेता संजय राउत फैसला आने तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की मांग की है।
 
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की खंडपीठ ने राजनीतिक संकट से जुड़ी पांच याचिकाओं की सुनवाई के लिए बुधवार की तारीख मुकर्रर की है। न्यायालय ने गत 11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अंतरिम राहत देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नारवेकर को इन विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने की शिंदे गुट की मांग पर फिलहाल कोई कदम न उठाने का निर्देश दिया था। इन पांच याचिकाओं में सबसे पहली याचिका शिंदे गुट ने ग्रीष्मावकाश के दौरान दायर की थी और तत्कालीन उपाध्यक्ष द्वारा अयोग्यता की कार्यवाही शुरू करने को चुनौती दी थी।
राष्ट्रपति शासन की मांग : शिवसेना सांसद संजय राउत ने मांग उठाई है कि पार्टी के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर जब तक सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला नहीं आ जाता तब तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए। राउत ने एकनाथ शिंदे की सरकार के नए मंत्रिमंडल के गठन में हो रही देरी की भी आलोचना की।
 
उन्होंने ट्वीट किया कि बारबाडोस की जनसंख्या ढाई लाख है और वहां के मंत्रिमंडल में 27 सदस्य हैं। महाराष्ट्र की 12 करोड़ आबादी को दो लोगों का मंत्रिमंडल मनमाने ढंग से चला रहा है। संविधान का मान कहां रखा गया है?
 
राउत ने मांग उठाई कि शिवसेना के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करने वाली याचिका पर जब तक सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का फैसला नहीं आ जाता तब तक महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा देना चाहिए।
 
राउत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 164 (1-ए) कहता है कि राज्य के मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होनी चाहिए। पिछले दो सप्ताह से, केवल दो लोगों का मंत्रिमंडल ऐसे निर्णय ले रहा है जो संवैधानिक रूप से वैध नहीं हैं। माननीय राज्यपाल जी, यह क्या हो रहा है? हालांकि, हालिया अटकलों के अनुसार, 19 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के बाद महाराष्ट्र में नई मंत्रिपरिषद का गठन हो सकता है। भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि 20 या 21 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है। राउत इस समय दिल्ली में हैं।
 
उन्होंने रविवार को कहा कि यह (मंत्रिमंडल विस्तार) इसलिए नहीं हुआ क्योंकि संवैधानिक समस्या है। शिवसेना के 40 बागी विधायकों (शिंदे गुट) को अयोग्य ठहराए जाने का डर है और यह मामला उच्चतम न्यायालय में है। अगर वे मंत्री के रूप में शपथ लेंगे तो उन्हें अयोग्य ठहरा दिया जाएगा।”
 
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने पर कोई निर्णय नहीं लिया जाए। महाराष्ट्र विधानसभा सचिव राजेंद्र भागवत ने शिवसेना के 53 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इनमें से 40 नोटिस मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को भेजे गए हैं तथा 13 अन्य नोटिस उद्धव ठाकरे के गुट को जारी किए गए हैं। दोनों गुटों ने एक दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की है।
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