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Last Modified: शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020 (21:15 IST)

ट्रांसजेंडर दल ने 17353 ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा

ट्रांसजेंडर दल ने 17353 ऊंची चोटी पर लहराया तिरंगा - Transgender mountaineers created history
इंदौर। रफ़्तार और रोमांच की दुनिया में सफलता का परचम लहराते हुए रत्नेश पांडे ने पूरी दुनिया में इंदौर के साथ साथ मध्यप्रदेश को एक खास पहचान दिलाई है। रत्नेश ऐसे भारतीय पर्वतारोही हैं, जिन्होंने एवरेस्ट शिखर पर हमारा राष्ट्रगान जन-गण-मन गाकर इतिहास रचा और मध्य प्रदेश में पर्वतारोहण को आधिकारिक पहचान दिलाई।
 
दुनिया के कई पर्वतों पर सफलतापूर्वक आरोहण तो किया ही बल्कि दूसरों को भी ट्रेंड करके एवरेस्ट फतह कराया। इसी तरह इस बार भी रत्नेश पांडे ने दुनिया की पहली ट्रांसजेंडर टीम के साथ हिमालय की माउंट फ्रेंडशिप चोटी (17353 फुट) पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और इतिहास रचा।
 
रत्नेश पांडे फ़ाउंडेशन और ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी ने एक अनूठा प्रयास किया और अब इतिहास लिखा लिख दिया है। इस अभियान को मध्य प्रदेश के पर्वतारोही रत्नेश पांडे और किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर कमीशन के आर्यन पाशा के मार्गदर्शन में किया गया। साथ ही यह इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एलाइड स्पोर्ट्स मनाली के मार्गदर्शन और सहयोग से हुआ।
रत्नेश पांडे फाउंडेशन एवं भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के प्रोफेशनल माउंटेनियर रत्नेश पांडे ने बताया कि इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर को दिल्ली से हुई। दिल्ली से रवाना होकर टीम मनाली पंहुची। मनाली में वातावरण के अनुकूल ढलने के बाद टीम धुंधी कैंप की ओर बढ़ी। इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए टीम उसके बाद रियाली कैंप में रुकी। कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए टीम प्रमुख बेस कैंप लेडी लेग पंहुची।
 
यहां टीम ने पर्वतारोहण की तकनीक सीखी और कठिन अभ्यास किया। 10 अक्टूबर को टीम अंतिम चढ़ाई के लिए निकली और 11 की अर्धरात्रि 2 बजे से लगातार आरोहण करते हुए सुबह 11 बजे फ्रेंडशिप चोटी के शिखर पर पंहुची। उस भावुक पल ने सभी की आंखों में आंसू ला दिए और इतिहास लिख दिया।
 
टीम ने सफलतापूर्वक माउंट फ्रेंडशिप पर चढ़ाई की और समानता और मानवता का संदेश दिया। इसके अलावा टीम ने  'Keep the Mountain Clean, keep the Himalaya clean' का संदेश दिया। टीम ने प्रकृति के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हुए पहाड़ से 100 किलोग्राम ट्रैश वापस लाने का भी सराहनीय कार्य किया। यह न केवल LGBTQ समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश और संसार के लिए गर्व का क्षण है। 
किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बताया कि ज हम बहुत भावुक है और चकित हैं हमने इतिहास रच दिया है। देश और प्रदेश के करीब 25 ट्रांसजेंडर ने रत्नेश पांडे से ट्रेनिंग ली और पर्वतारोहण किया। पर्वत शिखर से मानवता और समानता के संदेश के साथ यह विशेष संदेश देने की कोशिश कि मात्र लैंगिक क्षमता के आधार पर मूल्यांकन के बजाय ट्रांसजेंडर लोगों का उनकी क़ाबिलियत के आधार पर मूल्यांकन। समाज में ट्रांसजेंडर कम्यूनिटी के बारे में मात्र नेगेटिव बातें ही होती हैं जबकि शिक्षा, चिकित्सा और अनेकों क्षेत्र में ये समुदाय बहुत अच्छा कार्य कर रहा है।
 
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