गुरुवार, 25 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. The court said, for the incentive, the government should reward the informer
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 27 जनवरी 2023 (18:40 IST)

मुखबिर अत्यधिक जोखिम उठाते हैं, प्रोत्साहन के लिए सरकार को पुरस्कार देना चाहिए : अदालत

मुखबिर अत्यधिक जोखिम उठाते हैं, प्रोत्साहन के लिए सरकार को पुरस्कार देना चाहिए : अदालत - The court said, for the incentive, the government should reward the informer
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि मुखबिर भारी जोखिम उठाते हैं और सरकार का दृष्टिकोण ऐसा नहीं होना चाहिए, जिससे मुखबिर हतोत्साहित हो जाएं। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने हाल ही में केंद्र को उस मुखबिर की विधवा को इनाम देने का भी निर्देश दिया, जिसने 1991 में करीब 90 लाख रुपए के हीरे की तस्करी के बारे में सीमा शुल्क अधिकारियों को गुप्त सूचना दी थी।

न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति अभय आहूजा की खंडपीठ ने पांच जनवरी को अपने आदेश में कहा कि मुखबिरों को इनाम देने के पीछे का उद्देश्य विभाग को सरकारी राजस्व की सुरक्षा के उपाय करने में सहायता करना है। आदेश की प्रति बाद में उपलब्ध कराई गई थी।

पीठ चंद्रकांत धावरे की विधवा जयश्री धावरे की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सरकार की नीति के अनुसार मुखबिरों को इनाम देने की मांग की गई थी। याचिका में दावा किया गया था कि सीमा शुल्क विभाग ने वर्ष 1991 में चंद्रकांत द्वारा साझा की गई जानकारी के आधार पर तस्करी किए गए हीरों को जब्त कर लिया था।

मुखबिर को अगले कुछ वर्षों में तीन लाख रुपए का अंतरिम भुगतान किया गया था, लेकिन कई बार अनुरोध किए जाने के बावजूद अंतिम राशि का भुगतान नहीं किया गया था। विभाग ने अदालत से कहा था कि उसे पहले यह सत्यापित करने की जरूरत है कि क्या चंद्रकांत असली मुखबिर थे, लेकिन पीठ ने यह कहते हुए इस विवाद को खारिज कर दिया कि उसने (विभाग ने) पहले उन्हें दो बार अग्रिम राशि का भुगतान किया था।

अदालत ने कहा कि हालांकि नीति के अनुसार इनाम की मांग करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, लेकिन अस्वीकृति की मनमानी भी नहीं होनी चाहिए। पीठ ने कहा, दृष्टिकोण ऐसा नहीं होना चाहिए कि यह मुखबिरों को आगे आने से हतोत्साहित करे। अंतत: मुखबिर को इनाम देने का उद्देश्य सरकारी खजाने की सुरक्षा के उपाय करने में विभाग की सहायता करना है।

अदालत ने कहा, मुखबिर सूचना प्रदान करने में भारी जोखिम उठाते हैं। दुर्भाग्य से, इस मामले में, प्रतिवादियों (केंद्र सरकार) ने एक कठोर रुख अपनाया है, जबकि उसे मामले की व्यापक संभावनाओं, मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और याचिकाकर्ता की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए सही दृष्टिकोण अपनाना चाहिए था और इस मामले का निस्तारण संवेदनशीलता के साथ करना चाहिए था।

न्यायाधीशों ने कहा कि याचिकाकर्ता का दावा सराहनीय था और अदालत द्वारा हस्तक्षेप न किए जाने को ‘न्याय की विफलता’ माना जाएगा। पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह जयश्री धावरे के दावे को अंतिम पुरस्कार के योग्य माने और 12 सप्ताह के भीतर उसे भुगतान की जाने वाली राशि का निर्धारण करे।

वर्ष 2021 में दायर याचिका के अनुसार, चंद्रकांत ने मार्च 1991 में तस्करी किए गए हीरों के बारे में मुंबई सीमा शुल्क आयुक्तालय के समुद्री और निवारक कार्यालय को विशिष्ट जानकारी प्रदान की थी। बाद में, सीमा शुल्क विभाग ने कुछ जौहरियों के परिसरों की तलाशी ली और 3.21 लाख रुपए के कच्चे हीरे और 84.47 लाख रुपए के पॉलिश किए हुए हीरे बरामद किए।

चंद्रकांत को इनाम के तौर पर अप्रैल 1993 में एक लाख रुपए और 1999 में दो लाख रुपए का भुगतान किया गया था। चंद्रकांत ने नीति के अनुसार अंतिम इनाम जारी करने के लिए 2006 और 2007 में सीमा शुल्क विभाग को कई अभ्यावेदन भेजे। अगस्त 2010 में उसकी मृत्यु हो गई, इसके बाद उसकी पत्नी ने अंतिम राशि जारी करने के लिए अनुरोध किया। विभाग से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर जयश्री ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)
ये भी पढ़ें
पंजाब में 400 नए मोहल्ला क्लीनिक खुले, अरविंद केजरीवाल ने कहा- एक और गारंटी हुई पूरी...