शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. sushant singh rajput case handed over to cbi centre tells supreme court
Written By
Last Updated : गुरुवार, 6 अगस्त 2020 (01:03 IST)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सामने आना चाहिए सुशांतसिंह राजपूत की मौत की सचाई, केंद्र सरकार ने CBI जांच की मंजूरी दी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सामने आना चाहिए सुशांतसिंह राजपूत की मौत की सचाई, केंद्र सरकार ने CBI जांच की मंजूरी दी - sushant singh rajput case handed over to cbi centre tells supreme court
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत की मौत की सचाई सामने आनी ही चाहिए। इसी बीच केंद्र ने न्यायालय को सूचित किया कि उसने इस मामले को केन्द्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली है। 
 
न्यायमूर्ति ऋषिकेश राय की एकल पीठ ने महाराष्ट्र और बिहार सरकार के साथ ही सुशांतसिंह राजपूत के पिता कृष्णकिशोर सिंह को निर्देश दिया कि वे अभिनेत्री रिया चक्रवती की याचिका पर 3 दिन के भीतर जवाब दाखिल करें। 
 
रिया चक्रवर्ती ने सुशांत के पिता द्वारा पटना के राजीव नगर थाने में 24 जुलाई को दर्ज कराई गई प्राथमिकी मुंबई पुलिस के पास भेजने का अनुरोध करते हुए न्यायालय में याचिका दायर कर रखी है। प्राथमिकी में रिया पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है।
 
शीर्ष अदालत ने रिया की याचिका अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध करते हुए मुंबई पुलिस को राजपूत की मृत्यु के मामले में अब तक की जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
 
 सुशांतसिंह राजपूत 14 जून को मुंबई के उपनगर बांद्रा में अपने घर में मृत पाए गए थे। इसके बाद से ही मुंबई पुलिस विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसकी जांच कर रही है।
 
इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की बिहार सरकार की सिफारिश उसने स्वीकार कर ली है।
 
पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए कहा कि रिया चक्रवर्ती की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार जवाब दाखिल करे और जहां तक इस कलाकार की मृत्यु का सवाल है तो सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। पीठ ने कहा कि इस मामले में एक विलक्षण प्रतिभा वाले कलाकार का निधन हुआ है। 
 
पीठ ने कहा कि उसके समक्ष उठाया गया बुनियादी मुद्दा यह है कि इस मामले की जाच का किस पुलिस को अधिकार है।
 
सुशांत के पिता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकाससिंह ने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय इस मामले की विवेचना करता है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन रिया चक्रवर्ती को संरक्षण देने वाला कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।
 
सिंह ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र पुलिस इस मामले में साक्ष्य नष्ट कर रही है और फिलहाल उसे बिहार पुलिस के साथ जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।
 
महाराष्ट्र की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने कहा कि इस मामले मे प्राथमिकी दर्ज करने या फिर जांच करने का पटना पुलिस को कोई अधिकार नहीं है और अब इसे एक राजनीतिक मामला बना दिया गया है।
 
इस पर पीठ ने टिप्पणी की कि ‘(बिहार के) पुलिस अधिकारी को क्वारंटाइन करने का अच्छा संदेश नहीं गया है। हालांकि मुंबई पुलिस की बेहतरीन छवि है। पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सब कुछ कानून के अनुसार ही हो।
 
महाराष्ट्र सरकार ने पीठ से कहा कि हम पेशेवर तरीके से ही अपना काम कर रहे हैं और मुंबई पुलिस को इस तरह से लांछित करना अनुचित है। 
 
रिया चक्रवर्ती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि इस मामले के लंबित होने के दौरान उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। पीठ ने टिप्पणी की, ‘हम चाहते हैं कि सभी पक्ष संयम बरतें। वकील यहां पर हैं और निश्चित ही सबने आपको सुना है। 
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजपूत के पिता के अनुरोध पर मंगलवार को इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश केन्द्र से की थी। महाराष्ट्र सरकार इस मामले को सीबीआई को सौंपने का विरोध कर रही है।
 
बॉलीवुड अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने 29 जुलाई को शीर्ष अदालत में दायर याचिका में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों को लेकर पटना में 24 जुलाई को दर्ज कराई गई प्राथमिकी मुंबई स्थानांतरित करने और बिहार पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया है।
 
सुशांतसिंह राजपूत के पिता कृष्ण किशोर सिह ने न्यायालय में एक कैविएट दायर इस मामले में उन्हें नोटिस दिए बगैर कोई कार्रवाई नहीं करने का अनुरोध न्यायालय से किया था।
 
इसके बाद बिहार सरकार और महाराष्ट्र सरकार ने भी इसमें कैविएट दाखिल की थीं। बिहार और महाराष्ट्र सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि इस याचिका पर कोई भी आदेश देने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए। (भाषा)