रामगोपाल ने शिवपाल पर साधा निशाना
लखनऊ/ इटावा। उत्तर प्रदेश में करारी हार होने के बाद भी समाजवादी पार्टी के अंदर संघर्ष बरकरार दिखाई पड़ रहा है जिसकी एक झलक उस वक्त देखने को मिली जब इटावा के समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचे राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने कार्यालय में जाकर पार्टी के सक्रिय सदस्य की सदस्यता ग्रहण की।
इसके बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि शिवपाल यादव ने लगता है पार्टी का संविधान नही पढ़ा। पार्टी की जनरल बॉडी ने अपनी सर्वसम्मति से अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था और यह अखिलेश यादव के हाथ में भी नही है कि वो राष्ट्रीय अध्यक्ष पद छोड़े और पार्टी की जनरल बॉडी की अगली मीटिंग में भी अखिलेश को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाएगा। शिवपाल यादव बेकार की बातें कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कि शिवपाल के पास कुछ था ही नहीं शिवपाल के पास तो केवल नेताजी का नाम था। उन्ही का नाम लेकर इन्होंने इसका फायदा उठाया है और नेताजी ने भी अखिलेश की बात कहां मानी।
चुनाव आयोग सबसे पहले कौन गया था। अखिलेश राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे और नेताजी जब तक चाहे संरक्षक बने रह सकते हैं।इसके बाद जब पत्रकारों ने नक्सली हमले को लेकर पूछा तो उन्होंने कहा कि इसका समाधान वहां पर रह रहे आदिवासियों से बातचीत कर निकल सकता है।
नक्सलवाद एक गंभीर समस्या है। वहां रह रहे लोगों को सरकार को भरोसा दिलाना चाहिए कि उन्हें जमीन और उनके बच्चों को पढ़ा-लिखाकर रोजगार दिया जाएगा। इस भरोसे के बाद वहां के लोग हथियार छोड़ सकते हैं। केन्द्र सरकार और संबंधित राज्य सरकारों को अपनी रणनीतियों को बदलना पड़ेगा।
अगर वहां के लोगों के पास पढ़ने की व्यवस्था हो। उन्हें भरोसा हो कि जिस जमीन को जोत रहे हैं, उस जमीन पर वे काबिज हो जाएंगे, उस जमीन को उनके नाम कर देना चाहिए। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में नक्सलवाद पनपने लगा था, लेकिन हमारी सरकार ने समय रहते वहां पर स्कूल खोले सड़कें बनवा दीं, जिससे वहां नक्सलवाद नहीं पनप पाया।
जब तक वहां के लोगों को भरोसा नहीं दिलाया जाएगा कि आपके बच्चे सुरक्षित हैं, उनके पढ़ने की उचित व्यवस्था है, तब तक नक्सलवाद खत्म नहीं हो पाएगा और भाजपा पर बोलते हुए कहा कि बीजेपी का काम है नारे देना नारे उछालना और फिर उस पर राजनीति करना। और जाते जाते जब उनसे साध्वी प्राची के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि साध्वी प्राची को मैं सीरियस नहीं लेता।