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Last Modified: जयपुर , शनिवार, 14 अप्रैल 2018 (14:37 IST)

बेटी से मिलने के लिए 1800 किमी चलाई बाइक

बेटी से मिलने के लिए 1800 किमी चलाई बाइक - rides 1800 km bike to meet with daughter
जयपुर। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को चरितार्थ करने के लिए एक बाप ने उड़ीसा के कटक से बाइक पर करीब 1800 किलोमीटर का सफर करीब तीन दिन में तय किया। बेटी से मिलने मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर पहुंचे कटक निवासी सजल सेठ ने बताया कि वे पहले भी करीब इतनी ही दूरी का सफर तय कर जा चुके हैं। 
 
सजल सेठ ने मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में पहुंचकर विवि के चेयरपर्सन प्रो. के. रामनारायण, प्रेसिडेंट, प्रो. जीके प्रभु, रजिस्ट्रार प्रो. वंदना सुहाग से मुलाकात कर अपने मिशन के बारे में बताया। मुलाकात के अवसर पर विवि की ओर से सजल सेठ को बधाई दी एवं इस मिशन को आगे भी इसी प्रकार से जारी रखने का आह्वान किया। सजल सेठ ने बताया कि मोटर साइकिल से सफर तय कर अपनी बेटी से मिलने के पीछे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का संदेश लोगों को देना है। 
 
गर्म हवाओं के के थपेड़ों, न आंधी व तूफान की परवाह, न ही रात के अंधेरे में किसी भी प्रकार की अनहोनी होने की आशंका का डर सजल सेठ के मजबूत इरादों को नहीं डिगा सका। उन्होंने बताया कि रास्ते में कई बार ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जिसका पहले से अंदाजा लगाना मुा्किल है। इसके लिए पहले से ही आप ने ट्रेवलिंग प्लान तो तैयार किया। साथ ही अपने शरीर को भी बचाने के लिए विशेष प्रकार की बाइक राईडिंग ड्रेस को भी मोटरसाइकिल चालाते समय आप पहनते हैं।
 
कटक से जयपुर आते समय सेठ ने कई रोचक एवं खट्टे मीठे अनुभवों को साझा किया। साथ ही बताया कि जब भी कोई परेशानी का सामना आप करते तो अपनी बेटी को याद कर लेते, इससे परेशानी का अहसास नहीं होता। साथ ही सफर की थकान भी कुछ क्षणों में दूर हो जाती।
 
सेठ की बेटी नेहा जो कि मणिपाल विश्वविद्यालय जयपुर में बीटेक, कंप्टूयण कम्यूटर एंड कम्यूनिकेषन इंजिनियरिंग-सीएमसीई में पढ़ाई कर रही हैं, ने बताया कि पापा के मोटरसाइकिल से कटक से जयपुर तक का सफर तय कर मुझसे मिलने आना मन में उत्साह तो पैदा करता है साथ ही थोड़ा भय भी रहता है। लेकिन, पापा के इस जज्बे को मैं सेल्यूट करती हूं और सभी को मेरे पापा जैसे पापा मिलें जो कि अपनी बेटी से इतना प्यार करते हैं।  सजल सेठ ने बताया कि पत्नी ने उन्हें मोटरसाइकिल से यात्रा करते समय नहीं रोका एवं सदैव प्रोत्साहित ही किया है। 
 
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