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Last Updated : शनिवार, 17 सितम्बर 2022 (16:25 IST)

पुजारियों ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का किया विरोध

पुजारियों ने केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का किया विरोध - Protest against plating of gold on the walls of the sanctum sanctorum of Kedarnath temple
देहरादून। बाबा केदारनाथ मंदिर के पुजारियों के एक वर्ग ने मंदिर के गर्भगृह के अंदर दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध करते हुए कहा है कि यह इसकी सदियों पुरानी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ है। तीर्थ पुरोहितों ने सोना चढ़ाने का विरोध करते हुए कहा है कि इस प्रक्रिया में बड़ी ड्रिलिंग मशीन के इस्तेमाल से मंदिर की दीवारों को नुकसान हो रहा है।
 
प्रसिद्ध मंदिर की दीवारों को चांदी की परत से ढंका गया था जिन्हें हटाकर उनकी जगह सोने की परत चढाई जा रही है। मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने की प्रक्रिया तब शुरू की गई, जब महाराष्ट्र के एक शिवभक्त ने स्वेच्छा से इस उद्देश्य के लिए सोना देने की पेशकश की थी और उनके प्रस्ताव को बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने राज्य सरकार की अनुमति से स्वीकार कर लिया था।
 
केदारनाथ में संतोष त्रिवेदी नाम के पुजारी ने कहा कि सोने की परत चढ़ाने से मंदिर की दीवारों को नुकसान पहुंच रहा है। इसके लिए बड़ी ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हम मंदिर की सदियों पुरानी परंपराओं के साथ इस छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकते।
 
हालांकि पुजारी इस मुद्दे पर बंटे हुए हैं, क्योंकि कुछ वरिष्ठ पुजारी मंदिर के गर्भगृह के अंदर वर्तमान में जारी जीर्णोद्धार कार्य के पक्ष में हैं। मंदिर के वरिष्ठ पुजारी श्रीनिवास पोस्ती और केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष महेश बगवाड़ी ने कहा कि मंदिर सनातन आस्था का एक प्रमुख केंद्र है और इसकी दीवारों पर सोना चढ़ाना हिन्दू मान्यताओं और परंपराओं के अनुरूप है।
 
बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने का विरोध जायज नहीं है, क्योंकि यह मूल ढांचे से छेड़छाड़ किए बिना परंपराओं के अनुसार किया जा रहा है औरसमय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण एक सामान्य प्रथा है। कुछ गिने-चुने पुजारी इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि निकायों ने कभी इसका विरोध नहीं किया। दशकों पहले मंदिर की छत घास और लकड़ियों से बनाई जाती थी। जैसे-जैसे समय बदलता गया पत्थरों से और फिर तांबे की चादरों से इसका निर्माण हुआ।
 
बीकेटीसी अध्यक्ष ने विरोध को विपक्षी दुष्प्रचार का हिस्सा करार दिया। अजय ने कहा कि पूरे देश में हिन्दू मंदिर भव्यता के प्रतीक हैं। हिन्दू देवी-देवताओं को सोने और आभूषण से सजाना हमारी परंपराओं का हिस्सा रहा है। मुझे मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने में कुछ भी गलत नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि मंदिर की दीवारों पर सोना चढ़ाने से पहले बीकेटीसी ने राज्य सरकार से भी अनुमति ली थी।(भाषा)
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