राजस्थान में कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ने के साथ ही सियासत में भी गरमाहट बढ़ती जा रही है। मध्यप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी सत्ता की जोड़तोड़ शुरू हो गई। केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा इस पूरे घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है। दूसरी ओर, पिछले दिनों मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता पलटने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व कांग्रेसी दिग्गज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इशारों ही इशारों में इसके संकेत दे दिए हैं।
दरअसल, सचिन और सिंधिया की मुलाकात के बाद इन संभावनाओं को और बल मिल रहा है कि राजस्थान में भी मध्यप्रदेश की कहानी दोहराई जा सकती है। पायलट से मुलाकात के बाद सिंधिया ने ट्वीट भी किया है कि यह काफी दुख की बात है कि मेरे पूर्व सहयोगी सचिन पायलट को 'साइडलाइन' किया जा रहा है। हालांकि मध्यप्रदेश के घटनाक्रम के बाद कांग्रेस हाईकमान भी इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रहा है और कोई भी जोखिम उठाने के मूड में नहीं है।
इसी कड़ी में कांग्रेस और भाजपा द्वारा एक-दूसरे पर खुलकर आरोप भी लगाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तो राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया एवं अन्य नेताओं पर आरोप लगाया था कि वे केन्द्र सरकार के इशारे पर राज्य सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है और वह अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
दूसरी ओर, भाजपा अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्य सरकार की विफलता को छिपाने और जनता का ध्यान बंटाने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत एसओजी, एसीबी इत्यादि एजेंसियों के माध्यम से निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों को डराने-धमकाने का काम कर रहे हैं।
पूनिया ने सत्तारूढ़ पार्टी को ही कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस के भीतर जो अंतर्कलह है और अंतर्विरोध है उसका ठीकरा वो भाजपा पर फोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1993-1998 में स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत की लोकप्रिय सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई थी, उस समय भजनलाल अटैची लेकर आए थे।
इस बीच, केन्द्र में भाजपा को समर्थन दे रहे राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी (रालोपा) के मुखिया एवं सांसद हनुमान बेनिवाल ने 10 से ज्यादा ट्वीट किए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भी निशाना साधा है।
बेनिवाल ने विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों को मनगढ़ंत बताते हुए मुख्यमंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठाया है साथ उन्हें ही इस 'पटकथा' का नायक एवं निर्माता करार दिया है। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम पायलट को खलनायक बनाया जा रहा है। साथ ही बेनिवाल ने गहलोत सरकार पर सांसदों व विधायकों के फोन टेप करवाए जाने का आरोप भी लगाया।
क्या है विधायकों का गणित : 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में भाजपा की सत्ता परिवर्तन की राह उतनी आसान भी नहीं है। भाजपा के पास इस समय 72 विधायक हैं और बहुमत के लिए कम से कम 101 के विधायकों की जरूरत है। कांग्रेस के पास 107 विधायक हैं।
भाजपा को बहुमत साबित करने के लिए 29 विधायक अपने खेमे में मिलाने होंगे, जो कि आसान भी नहीं है। कांग्रेस खेमे में सेंध लगाने के साथ ही उसे निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों को भी साधना होगा, जिनकी संख्या 21 है। दूसरी ओर वामपंथी विधायक (2) कभी भी भाजपा के साथ खड़े नहीं होंगे।
राजस्थान की राजनीति के इस हाईबोल्टेज ड्रामे का पटाक्षेप कैसा होगा, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि कोरोना संक्रमण काल में राजनीतिक जोड़तोड़ की खबरें राजस्थान के लोगों को जरूर डरा रही हैं। क्योंकि सत्ता की उठापटक में नेताओं का ध्यान निश्चित ही जनता की ओर से हट जाएगा और जनता को इस कालखंड में 'सुरक्षा' की ज्यादा जरूरत है।