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Last Updated : मंगलवार, 6 अक्टूबर 2020 (14:43 IST)

आर-पार के मूड में रालोद, खून का बदला खून से, लाठी का जवाब लाठी से

आर-पार के मूड में रालोद, खून का बदला खून से, लाठी का जवाब लाठी से - National Lok Dal in cross mood
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) नेता जयंत चौधरी पर हाथरस में हुए लाठीचार्ज के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़े आंदोलन की शुरूआत हो गई है। आज मेरठ, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर सहित कई जिलों में रालोद सड़कों पर उतर आई। राष्ट्रीय लोकदल के नेताओं व समर्थकों ने पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज से आहत होकर आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है।
 
बागपत जिला चौधरी चरण सिंह की कर्मस्थली रही है, बड़े चौधरी के बाद उनकी विरासत को छोटे चौधरी यानी अजीत सिंह ने संभाला। लंबे समय तक 'जाटलैंड' में एकछत्र राज किया चौधरी परिवार ने लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव अजीत सिंह हार गए और बीजेपी ने अपनी विजय पताका यहां लहरा दी। चरण सिंह के बाद जाटों ने अजीत सिंह को कई बार मौका दिया, लेकिन वह जाटों की उम्मीदों पर खरे नही उतरें।
 
आज बागपत की इसी जाटलैंड पर रालोद नेताओं ने अपनी आवाज बार फिर से बुलंद करते हुए के दिल्ली-यमुनोत्री हाइवे 709 बी पर जाम लगा दिया। इतना ही नहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पुतला भी फूंका और बड़ौत तहसील में चक्का जाम कर दिया। आसपास के गांव से भी लोग सड़कों पर निकल आए, जिसकी वजह से वाहनों की आवाजाही पर ब्रेक लग गया और सड़कों पर कई किलोमीटर लंबा जाम दिखाई दिया। 
हाथरस में राष्ट्रीय लोकदल के उपाध्यक्ष जयंत पर हमले को रालोद कार्यकर्ताओं साजिश करार देते हुए कहा कि ये एक षड़यंत्र रचा गया, जिसमें जयंत की हत्या तक की हो सकती थी। रालोद नेता इतने आक्रोशित थे कि उन्होंने दो टूक गुस्से कह दिया कि 'लाठी का बदला लाठी' और 'खून का बदला खून' सें लेंगे।
 
मेरठ के कमीश्नरी चौराहे पर सैकड़ों की संख्या में रालोद कार्यकर्ता एकत्रित हुए। सभी ने बुलंद आवाज में प्रदेश सरकार के खिलाफ नारे लगाए। मुख्यमंत्री योगी व सरकार के खिलाफ नारे सुनकर वहां खड़े अधिकारी असहज हो गए। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने की कोशिश की, जिसके चलते पुलिस और रालोद कार्यकर्ताओं में जमकर धक्का-मुक्की हुई। पुलिस का कहना है कि कुछ लोग माहौल बिगाड़ने का प्रयास कर थे, जिन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
हाथरस में जयंत चौधरी के साथ हुई बदसलूकी के बाद जहां रालोद कार्यकर्ता गुस्से में दिखाई दे रहे है, जिसे देखकर लगता है, कि छोटे चौधरी अपने खोए हुए जनाधार को पाने के लिए यह अवसर गंवाना नहीं चाहते।