फूलपुर में केशव मौर्य की प्रतिष्ठा दांव पर
लखनऊ। देश को दो प्रधानमंत्री देने वाली उत्तरप्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव में भाजपा के साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुई फूलपुर सीट पर मतदान 11 मार्च को होगा। मौर्य के रूप में भाजपा ने वर्ष 2014 में पहली बार फूलपुर सीट पर कब्जा जमाया था। उनके 19 मार्च 2017 को उपमुख्यमंत्री बन जाने के बाद इस्तीफा दे दिया था। वह इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं।
राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि फूलपुर का उपचुनाव जीतना भाजपा के लिए तो जरूरी है ही उससे ज्यादा जरुरी मौर्य के लिए है। प्रेक्षकों का कहना है कि उपचुनाव नहीं जीत पाने पर भाजपा और बाहर के उनके आलोचक 2014 में उनकी जीत को बढ़चढ़कर मोदी लहर का परिणाम बताएंगे, इसलिए फूलपुर सीट पर भाजपा की जीत मौर्य की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गई है।
इस सीट से पहले लोकसभा के चुनाव में 1952 में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सांसद चुने गए थे। राजस्थान में हाल ही में हुए उपचुनाव में लोकसभा की दो और विधानसभा की एक सीट पर भाजपा को मिली करारी हार के बाद यह उपचुनाव होने जा रहा है। उपचुनाव में भाजपा इस सीट को हर हाल में बरकरार रखना चाहेगी।
राजनीतिक हलकों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि बसपा अध्यक्ष मायावती विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार हो सकती हैं, लेकिन बसपा कई वर्षों से उपचुनाव नहीं लड़ रही है, इसलिए लोगों का यह भी कहना है कि सुश्री मायावती फूलपुर चुनाव लड़ने नहीं जाएंगी।
वर्ष 1957 और 1962 में नेहरू इस सीट से जीते थे, जबकि 1964 के उपचुनाव में नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित सांसद चुनी गई थीं। वह 1967 में भी इसी सीट से लोकसभा पहुंचीं थीं। छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र ने 1969 के उपचुनाव में यह सीट संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी उम्मीदवार के रूप में जीती थी। वर्ष 1971 में कांग्रेस के वीपी सिंह ने लोकसभा में फूलपुर का प्रतिनिधित्व किया था।
वर्ष 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर कमला बहुगुणा, 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के बीडी सिंह चुनाव जीते। 1984 में कांग्रेस तथा 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर रामपूजन पटेल ने इस सीट पर जीत हासिल की। 1996 और 1998 में सपा उम्मीदवार रहे जंगबहादुर पटेल फूलपुर से लोकसभा पहुंचे, जबकि 1989 में सपा के ही उम्मीदवार धर्मराज पटेल चुनाव जीतने में सफल रहे।
वर्ष 2004 में सपा उम्मीदवार अतीक अहमद, 2009 में बसपा उम्मीदवार कपिलमुनि कलवरिया सांसद चुने गए। 2014 में भाजपा ने इस सीट पर पहली बार जीत हासिल की। केशव प्रसाद मौर्य ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता और 2017 में उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। (वार्ता)