आंखों में सपने लिए जम्मू का रुख कर रहे कश्मीरी विद्यार्थी
जम्मू। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले की निवासी 17 वर्षीय सुरैया गुलजार सिविल सेवाओं में जाना चाहती हैं और पुलवामा के खुर्शीद (नाम परिवर्तित) हृदय रोग विशेषज्ञ बनना चाहते हैं।
12वीं के छात्र खुर्शीद कहते हैं कि लेकिन जब हम पढ़ ही नहीं पाएंगे तो दुनिया की प्रतिस्पर्धा में कैसे खड़े होंगे? वे और उनके जैसे कश्मीर के कई अन्य विद्यार्थियों के पास घाटी को छोड़कर जम्मू के किसी स्कूल में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि यहां अशांति के कारण बीते 100 दिनों से शैक्षणिक संस्थान बंद हैं।
गुलजार ने भी यहीं के एक स्कूल में प्रवेश लिया है। वे शाह फजल के पदचिन्हों पर चलना चाहती हैं। कश्मीर घाटी के फजल ने 2009-10 की सिविल सेवाओं में टॉप किया था। वे कहती हैं कि स्कूलों को जबरदस्ती बंद कर दिया जाएगा तो आप आईएएस या डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकते हैंं।
उन्होंने कहा, हमने कुछ दिन तक स्कूल खुलने का इंतजार किया लेकिन महीने गुजरते गए और अंतत: अभिभावकों ने मुझे जम्मू के स्कूल में प्रवेश दिलवा दिया ताकि मैं पढ़ाई जारी रख सकूं। खुर्शीद बताते हैं कि उनके कई दोस्त ऐसे हैं, जो पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं लेकिन आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि घाटी से बाहर कहीं प्रवेश ले सकें।
गुलजार समेत कश्मीर के 30 अन्य विद्यार्थियों ने जम्मू के सुनजवान क्षेत्र में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नियमित प्रवेश ले लिया है। यहां उनके लिए विशेष कक्षाएं लगाई जा रही हैं। उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य प्रेम सिंह ने बताया कि अब तक कश्मीर के 30 विद्यार्थियों ने हमारे स्कूल में नियमित प्रवेश लिया है। यह संख्या दिन-पर-दिन बढ़ रही है तथा उनके पास हर रोज कश्मीर से फोन कॉल आते हैं, जो ऐसे अभिभावकों के होते हैं, जो अपने बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलवाना चाहते हैं।
खुर्शीद ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों से विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई को दूर रखना चाहिए। इसका खामियाजा हम क्यों उठाएं। वैसे भी सरकार घाटी में 10वीं और 12वीं की सालाना परीक्षाओं को नहीं टाल रही है जिस वजह से कश्मीर के विद्यार्थी बहुत परेशान हैं। राज्य के शिक्षामंत्री नईम अख्तर ने कहा है कि परीक्षाओं को टालने की कोई योजना नहीं है।
उन्होंने बताया कि मेरे पास अनगिनत कॉल आ रहे हैं। कॉल करने वाले विद्यार्थी और अभिभावक चाहते हैं कि परीक्षाएं तय समय पर ही ली जाएं। सरकार का भी यही फैसला है। जम्मू के निजी स्कूलों में बीते 3 महीने से कश्मीर घाटी के बड़ी संख्या में छात्र प्रवेश ले रहे हैं। (भाषा)