गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. Holi is not celebrated in more than 100 villages of Uttarakhand
Written By एन. पांडेय
Last Modified: मंगलवार, 7 मार्च 2023 (18:08 IST)

उत्तराखंड के 100 से ज्यादा गांवों में नहीं मनती होली, जानिए आखिर क्या हैं कारण

उत्तराखंड के 100 से ज्यादा गांवों में नहीं मनती होली, जानिए आखिर क्या हैं कारण - Holi is not celebrated in more than 100 villages of Uttarakhand
देहरादून। एक तरफ जहां पूरे देश की तरह उत्तराखंड में भी होली की धूम है। उत्तराखंड के कुमाऊं की बैठकी और खड़ी होली देश और दुनिया में मशहूर है। इसके इतर उत्तराखंड में कई गांव ऐसे भी हैं जहां होली मनाई ही नहीं जाती। सीमांत पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट के करीब 100 गांवों में होली नहीं मनाई जाती है। इन इलाकों में होली मनाना अपशकुन माना जाता है।
 
इन गांवों में क्यों पसरा रहता है सन्नाटा : कई गांवों में अनहोनी की आशंका में यहां के ग्रामीण होली नहीं मनाते हैं। भारत की चीन और नेपाल सीमा से लगे इन गांवों में होली की धूम की जगह गहरा सन्नाटा पसरा रहता है। धारचूला, मुनस्यारी और डीडीहाट के तमाम इन गांवों में होली न मनाने के अलग-अलग कारण हैं। धारचूला के रांथी, जुम्मा, खेला, खेत, स्यांकुरी, गर्गुवा, जम्कू, गलाती सहित अन्य गांव शिव के पावन स्थल छिपला केदार में स्थित हैं।
 
अनहोनी की आशंका : स्‍थानीय लोगों के अनुसार पूर्वजों के अनुसार शिव की भूमि पर रंगों का प्रचलन नहीं होता है। मुनस्यारी के चौना, पापड़ी, मालू पाती, हरकोट, मल्ला घर पट्टा, तल्ला घोरपट्टा, माणी टुंडी, पैकुटी, फाफा, वादनी सहित कई गांवों में भी होली नहीं मनाई जाती है। यहां देवी के प्रसिद्ध भराड़ी मंदिर में होली खेलने जा रहे लोगों का रास्ता सांपों ने रोक दिया था। इसके बाद होली गाने या होली खेलने वाले के घर में कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती थी। तब से यहां होली नहीं मनाई जाती।
देवी-देवताओं के नाखुश होने का डर : गढ़वाल मंडल के रुद्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड अगस्त्यमुनि के भी तीन गांव ऐसे हैं, जिनमें होली मनाने की परंपरा नहीं है। क्वीली, कुरझण और जोंदला नाम के रुद्रप्रयाग जनपद के 3 गांव में गांव के भूम्याल देवता और कुलदेवी के अप्रसन्न होने के डर से यहां होली नहीं मनाई जाती। गांव के भूम्याल देवता भेल देव और कुलदेवी मां नंदा और त्रिपुरा सुंदरी हैं।
 
गांव में अगर कोई होली मनाता है तो भूम्याल देवता और देवी त्रिपुरा सुंदरी के कोप से इंसानों और जानवरों में बीमारी फैल जाती है और लोग अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार सालों पूर्व ग्रामीणों ने होली मनाने का प्रयास किया था, लेकिन तब गांव में हैजा नाम की बीमारी फैल गई। कई लोग मर गए तब से ग्रामीणों ने होली मनाना ही छोड़ दिया।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
 
ये भी पढ़ें
इंस्टाग्राम नोट्स आइडियाज इन हिंदी 2023