उमेश उपाध्याय और विजय मनोहर तिवारी को 'गणेश शंकर विद्यार्थी' सम्मान
भोपाल। वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय और विजय मनोहर तिवारी को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित 'गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान' के लिए चुना गया है। 14 अप्रैल को रवीन्द्र भवन में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह में उन्हें सम्मानित किया जाएगा। उपाध्याय को वर्ष 2014 के लिए और तिवारी को 2015 के लिए इस सम्मान के लिए चुना गया है।
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर जयंती प्रसंग पर आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार नरेंद्र कोहली और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय होंगे। इस अवसर पर 'वंचित वर्ग के समग्र विकास के लिए व्यवहारिक उपाय एवं समरस समाज के लिए मीडिया और साहित्य का दायित्व' विषय पर व्याख्यान का भी आयोजन होगा। इसके साथ ही विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक एवं खेलकूद आयोजन की प्रतिभाएं भी पुरस्कृत होंगी।
भारतीय भाषायी पत्रकारिता के माध्यम से मूल्यों की स्थापना एवं संवर्धन सत्यान्वेषण, जनपक्षधरता, गहरे सामाजिक सरोकार और अप्रतिम सृजनात्मक योगदान के लिए माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान की स्थापना की गई है। यह सम्मान किसी कृति, रचना या उपलब्धि के लिए न होकर सुदीर्घ साधना एवं उपलब्धि के लिए देय है। गत वर्षों में इस सम्मान से आलोक मेहता, राजेंद्र शर्मा, डॉ. नंदकिशोर त्रिखा, रामबहादुर राय, रमेश नैयर, मदनमोहन जोशी और श्यामलाल यादव को सम्मानित किया जा चुका है। सम्मान के अर्न्तगत 2 लाख रुपए नकद तथा प्रशस्ति पट्टिका प्रदान की जाती है।
वर्ष 2014 के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित उमेश उपाध्याय पिछले तीन दशक से मीडिया की हर विधा में अपनी छाप छोड़ने वाले देश के ख्यातनाम पत्रकार, एंकर, संचार विशेषज्ञ और शिक्षाविद् हैं। उपाध्याय पीटीआई, भाषा, दूरदर्शन सहित विभिन्न चैनलों और अन्य संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे वर्तमान में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रेसिडेंट एवं मीडिया डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इसके साथ ही वे विश्वविद्यालय की महापरिषद और भारतीय जनसंचार संस्थान की कार्य परिषद के सदस्य हैं।
वर्ष 2015 के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित विजय मनोहर तिवारी बीस साल के पत्रकारीय जीवन में 20 राज्यों की आठ लंबी यात्राएं कर भारत के विविध रंगों को सबके सामने लाने के लिए पहचाने जाते हैं। एक लेखक के तौर पर भी उनकी पहचान है। 'प्रिय पाकिस्तान', 'हरसूद 30 जून' और 'भारत की खोज में मेरे पांच साल' उनकी चर्चित पुस्तकें हैं।