चंडीगढ़। जननायक जनता पार्टी (जजपा) को बुधवार को तब झटका लगा जब उसके विधायक एवं वरिष्ठ नेता रामकुमार गौतम ने पार्टी उपाध्यक्ष पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि पार्टी जिस तरह से चल रही है, वे उससे निराश हैं। गौतम ने कहा कि जजपा नेता दुष्यंत चौटाला को यह नहीं भूलना चाहिए कि वे अपनी पार्टी के विधायकों के समर्थन से उपमुख्यमंत्री बने हैं।
गौतम ने कहा, पार्टी में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। पार्टी जिस तरह से चल रही है, उससे मैं निराश हूं और मैंने पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। मुझे पार्टी का अखिल भारतीय उपाध्यक्ष बनाया गया, जबकि पार्टी का हरियाणा में एक सीमित क्षेत्र में प्रभाव है।
इससे पहले उन्होंने हिसार जिले के नारनौंद स्थित अपने विधानसभा क्षेत्र में संबोधित करते हुए पार्टी पद से अपने इस्तीफे के बारे में बात की। गौतम के पार्टी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर पूछे गए सवाल पर दुष्यंत ने फरीदाबाद में कहा, मुझे इसके बारे में अभी मीडिया के जरिए जानकारी मिली है। हम यह पता लगाएंगे कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया है।
गौतम ने किसी का नाम लिए बिना आरोप लगाया कि जो लोग पार्टी के मामले देख रहे हैं, उन्होंने हाल में एक प्रमुख नेता से हाथ मिला लिया है, जिसके खिलाफ जजपा ने चुनाव लड़ा था। जजपा ने गत अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में गौतम को भाजपा के कैप्टन अभिमन्यु के खिलाफ उतारा था। उन्होंने यद्यपि स्पष्ट किया कि वे भाजपा को बहुमत का आंकड़ा हासिल नहीं होने पर उसके साथ जजपा के जाने और गठबंधन सरकार बनाने के खिलाफ नहीं हैं।
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने हाल में यह कहा था कि वे दुष्यंत के कारण एक विधायक बने हैं, दुष्यंत ने कहा, हां, यह सही है। यद्यपि उन्हें यह भी अहसास होना चाहिए कि वे उपमुख्यमंत्री अपने विधायकों के चलते बने। हमने इसके लिए और अन्य पार्टी उम्मीदवारों के लिए कड़ी मेहनत की।
जजपा के भाजपा के साथ गठबंधन के बाद मंत्री पद की दौड़ में शामिल गौतम ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व वाली कैबिनेट में उन्हें मंत्री नहीं बनाए जाने का कोई असंतोष नहीं है।
गौतम ने कहा, मैं जजपा के टिकट का आकांक्षी भी नहीं था, यद्यपि दुष्यंत और उनके पिता अजय चौटाला की इच्छा थी कि मुझे उनके साथ आना चाहिए। उन्हें पता था कि मैं ही भाजपा के विधायक कैप्टन अभिमन्यु को हरा सकता हूं।
यद्यपि दुष्यंत पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री ने 11 विभाग अपने पास रखे हैं जबकि पार्टी के मात्र एक विधायक को एक कनिष्ठ मंत्री बनाया गया है, जिसे एक छोटा प्रभार दिया गया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या वह पार्टी से इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं, गौतम ने कहा, लोगों ने मुझे चुना है, मेरी उनके प्रति जिम्मेदारी है। यदि मैं अपनी पार्टी से इस्तीफा देता हूं, मैं अपनी सीट भी गंवा दूंगा और मैं अपने क्षेत्र को अधर में नहीं छोड़ सकता। मैंने पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा है।