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Last Modified: गुरुवार, 25 नवंबर 2021 (20:57 IST)

युद्ध स्तर पर होगी यमुना की सफाई, CM केजरीवाल ने किया 'क्लीनिंग सेल' का गठन

युद्ध स्तर पर होगी यमुना की सफाई, CM केजरीवाल ने किया 'क्लीनिंग सेल' का गठन - Cleaning of Yamuna will be done on war footing, CM Kejriwal constitutes Cleaning Cell
नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने युद्ध स्तर पर यमुना नदी की सफाई में तेजी लाने के उद्देश्य से आज यमुना क्लीनिंग सेल का गठन किया। यह सेल संबंधित विभागों की ओर से किए जा रहे कार्यों पर नजर रखेगा। दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) को सेल का अध्यक्ष बनाया गया है और सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधि सदस्य होंगे। फरवरी 2025 तक यमुना को साफ कराने की जिम्मेदारी सेल के पास होगी।

यमुना की सफाई के संबंध में दिल्ली सचिवालय में आज संपन्न समीक्षा बैठक की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अंतर विभागीय निर्णय लेने और कार्य निष्पादन में तेजी लाने के लिए हमने यमुना क्लीनिंग सेल का गठन किया है, इससे यमुना की सफाई में तेजी आएगी। हम यमुना की खोई सुंदरता को वापस लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पिछले कार्यकाल में जैसे हमने स्कूलों और अस्पतालों का कायाकल्प किया, वैसे ही इस बार हमें यमुना को भी प्राथमिकता के आधार पर साफ करना है।

समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को कार्ययोजना में खामियों की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ने के निर्देश देते हुए कहा कि एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते यमुना की सफाई, हमारी सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता है। हमें इस मुद्दे पर उसी मानसिकता और गंभीरता के साथ काम करना होगा, जो हमने पिछले कार्यकाल में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में किया था। इस कार्यकाल में यमुना की सफाई और जलापूर्ति हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके लक्ष्य को हासिल करने में किसी भी तरह से कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है।

मौजदा समय में दिल्ली के अंदर करीब 675 जेजे क्लस्टर हैं, जो बिना सीवर के हैं। इन जेजे क्लस्टर्स का अनुपचारित गंदा पानी यमुना नदी में गिरता है। डूसिब ने इन-सीटू जेजे क्लस्टर में सार्वजनिक सामुदायिक शौचालयों को बनाकर सुविधाएं दी हैं। इनमें से कुछ सामुदायिक शौचालय अपने गंदे पानी को करीब के बरसाती नाले में बहा देते हैं, जो यमुना नदी के पानी को प्रदूषित करता है।

जेजे क्लस्टर्स से बरसाती पानी के नाले में आने वाले इस गंदे पानी की समस्या से निपटने के लिए ऐसे सभी जेजे क्लस्टर्स को बरसाती पानी के ड्रेनेज सिस्टम से अलग किया जाएगा और वहां से निकलने वाले गंदे पानी को आसपास के एसटीपी में ट्रीट करने के लिए भेजा जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जेजे क्लस्टर्स से बिना ट्रीट हुआ पानी यमुना नदी में नहीं गिरेगा। दिल्ली जल बोर्ड की देखरेख में डूसिब द्वारा ट्रैपिंग व्यवस्था की कार्रवाई की जाएगी।

दिल्ली में 13 सीईटीपी हैं, जो वर्तमान में 17 औद्योगिक क्लस्टर्स की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। डीएसआईआईडीसी दिल्ली में यमुना को प्रदूषित करने वाले औद्योगिक कचरे की संभावना को खत्म करने के लिए दिल्ली के औद्योगिक क्षेत्रों में जहां भी आवश्यक है, वहां पर सीईटीपी स्थापित करने पर काम कर रहा है। डीपीसीसी, उद्योग विभाग और डीएसआईआईडीसी इस परियोजना पर काम कर रहे हैं, ताकि इसके रास्ते में आने हर तरह की खामियों को दूर करने के लिए रास्ता निकाला जा सके।

दिल्ली में ऐसे 11 सीईटीपी हैं, जिनका प्रबंधन सीईटीपी समितियों द्वारा किया जाता है। यह समितियां सीईटीपी के संचालन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। अध्ययनों ने इन समितियों द्वारा सीईटीपी के कुप्रबंधन की ओर इशारा किया है और इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि दिल्ली जल बोर्ड उनके संचालन और रखरखाव को अपने हाथ में ले लेगा। डीजेबी सीईटीपी की क्षमता को अधिक से अधिक बढ़ाने की दिशा में काम करेगा। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करेगा कि औद्योगिक कचरे को यमुना में डालने की बजाय इसे इन प्लांट्स में डायवर्ट कर उसको ट्रीट किया जाए।

केजरीवाल सरकार दिल्ली के अंदर सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 279 एमजीडी क्षमता के चार नए ट्रीटमेंट प्लांट बना रही है। इसमें 40 एमजीडी की रिठाला एसटीपी, 70 एमजीडी की कोरोनेशन एसटीपी, 45 एमजीडी की कोडली एसटीपी और 124 एमजीडी की ओखला एसटीपी शामिल है। इसके अलावा दिल्ली में मौजूदा 19 एसटीपी को अपग्रेड किया जा रहा है। जिसके बाद सीवेज को ट्रीट करने की क्षमता काफी बढ़ जाएगी।

दिल्ली के अंदर 33 इंडस्ट्रीयल क्लस्टर्स हैं। इन इडस्ट्रीयल क्लस्टर्स के अंदर से काफी सारा औद्योगिक कचरा निकलता है। इसमें से 17 इंडस्ट्रीयल क्लस्टर्स ऐसे हैं, जिनका पानी 13 सीईटीपी में जाता है और बाकी सीईटीपी में नहीं जाता है। जिनका पानी सीईटीपी में नहीं जाता है, उनके पानी को अलग-अलग जगहों पर सीवर लाइन में टैप कर लिया जाएगा और उसे सीईटीपी में साफ होने के लिए भेजा जाएगा। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) दिल्ली जल बोर्ड के अधीन काम करता है और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (सीईटीपी) डीएसआईडीसी के अधीन काम करता है।

यमुना की सफाई के संबंध में दिल्ली सचिवालय में आज हुई बैठक में उद्योग मंत्री और दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन, मुख्य सचिव विजय कुमार देव और दिल्ली जल बोर्ड के सीईओ उदित प्रकाश राय के साथ-साथ संबंधित विभागों के कई उच्च पदस्थ अधिकारी मौजूद रहे।
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