उसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। वे चमकौर साहिब विधानसभा सीट (सुरक्षित) से चुनाव में उतरे और लगातार तीसरी बार जीते। आम परिवार से संबंध रखने वाले चन्नी जिम्मेदार, मेहनतकश, लगनशील और मिलनसार व्यक्तित्व के हैं। उनकी इन्हीं खूबियों ने ऊंचाई तक पहुंचाया।
चन्नी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को हराया था। इससे पहले 2015 में अकाली दल की सरकार के समय कांग्रेस ने उन्हें कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया और उन्होंने सदन में आक्रामक भूमिका निभाते हुए अकाली सरकार से दो हाथ किए। सवाल दागने में उनका कोई सानी नहीं। उन्होंने सीएलपी नेता होने के नाते सदन में अपनी भूमिका पर खरे उतरे।
उसके बाद 2017 में अमरिंदर सरकार बनने पर उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और तकनीकी शिक्षा विभाग का जिम्मा दिया गया। 2022 के चुनाव निकट आते कांग्रेस में घमासान शुरू हो गया तथा अमरिंदर विरोधी धड़े में शामिल होकर मुख्यमंत्री के खिलाफ आवाज बुलंद की। उसके बाद मुख्यमंत्री हटाओ मुहिम में कांग्रेस की प्रधानगी नवजोत सिद्धू को सौंपे जाने के बाद कल मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस्तीफे तक उन्होंने अहम रोल निभाया।
कल शाम को कैप्टन सिंह के इस्तीफे के बाद विधायकों की बैठक हुई जिसमें पर्यवेक्षक के तौर पर दिल्ली से अजय माकन और हरीश चौधरी शामिल हुये और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत कल यहीं डटे रहे और बैठक में किसी नाम पर फैसला न होने पर इसके लिये कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया गया। इस बीच कई नामों की चर्चा हुई लेकिन दिल्ली में चले मंथन के बाद आज देर शाम श्री चन्नी के नाम पर मुहर लगा दी गई।