• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. प्रादेशिक
  4. Challenges and Opportunity in Media Education
Written By
Last Modified: शनिवार, 30 जनवरी 2021 (16:12 IST)

आमजन का मीडिया से भरोसा उठना चिंताजनक-प्रो. सुरेश

आमजन का मीडिया से भरोसा उठना चिंताजनक-प्रो. सुरेश - Challenges and Opportunity in Media Education
वड़ोदरा। पारूल विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ जर्नलिज्म एंड मॉस कम्युनिकेशन द्वारा विगत दिनों 'मीडिया एजुकेशन : चैलेंजेस एंड अपॉर्च्युनिटी' विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य अतिथि एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केजी सुरेश ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
 
प्रो. सुरेश ने ओवरडोज ऑफ इनफॉरमेशन को इनफोडेमिक के संदर्भ में समझाया। उन्होंने कहा कि आज लोगों का भरोसा मीडिया पर से उठ रहा है, जो कि चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि एक समय था जब लोग समाचार पत्रों में छपी खबरों को सत्य का पर्याय मानते थे, लेकिन अब वो बात नहीं है। इसको बरकरार रखने के लिए पत्रकारिता के क्षेत्र में आ रही नई पीढ़ी नए सिरे से काम करते हुए इसे बरकरार रखना होगा।
 
उन्होंने वाट्‍सऐप पर वॉयरल होने वाले संदेशों एवं उसे ज्ञान के रूप में अपनाने पर चिंता व्यक्त की एवं इसे वाट्सऐप यूनिवर्सिटी करार दिया। उन्होंने वर्तमान में प्रिंट मीडिया की चुनौतियों के बारे में चर्चा की साथ ही डिजिटल मीडिया की ग्रोथ पर भी विचार व्यक्त किए। इसके साथ ही टेलीविजन पर समाचारों के कवरेज, मोबाइल जर्नलिज्म, ड्रॉन जर्नलिज्म, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी पर भी अपने विचार व्यक्त किए। 
 
भारत में मीडिया एजुकेशन के सिनारियो पर बात करते हुए कहा कि मीडिया एजुकेटर्स को भाषा पर कमांड, स्किल के साथ तकनीकी ज्ञान पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे कि बेहतर विद्यार्थी तैयार हो सकें। विद्यार्थियों को हम इस प्रकार से तैयार करें कि वे जॉब क्रिएटर बनें न कि जॉब सीकर। उन्होंने कहा कि भारत में पत्रकारिता का भविष्य रीजनल लैंग्वेज की पत्रकारिता पर टिका हुआ है। इसलिए केवल अंग्रेजी भाषा पर ही फोकस न कर हमें विद्यार्थियों को हिन्दी सहित अन्य प्रदेशों की भाषाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। इससे रोजगार के अवसर तो बढ़ेंगे ही एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में नए आयाम भी स्थापित होंगे।
 
उन्होंने विद्यार्थियों से समाज के प्रति संवेदनशील, रिसर्च के प्रति समर्पित, ग्राउंड लेवल से रिपोर्टिंग सीखने, किताबें पढ़ने, भाषा को दुरुस्त रखने, लोगों से लगातार संपर्क बनाने पर ध्यान देने को कहा, जिससे उन्हें भविष्य में अच्छे अवसर मिल सकें। 
 
प्रो. सुरेश ने फेक न्यूज टर्म पर भी आपत्ति जताई एवं कहा कि जब कोई सूचना गलत है तो उसे न्यूज की संज्ञा न देकर उसे फेक कंटेंट कहना चाहिए। उन्होंने एविडेंस बेस्ड रिपोर्टिंग, डिसएबिलिटी इश्यू, ट्रांसजेंडर जैसे विषयों पर भी प्रतिभागियों से बात की। प्रारंभ में प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने स्वागत भाषण दिया एवं अंत में आभार व्यक्त किया। 
रोल ऑफ कम्यूनिटी मीडिया इन ह्यूमन डवलपमेंट : इसी तरह विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ सोशियोलॉजी की ओर से 'रोल ऑफ कम्यूनिटी मीडिया इन ह्यूमन डेवलपमेंट' विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य अतिथि थे वन वर्ल्ड फाउंडेशन इंडिया एंड वन वर्ल्ड साउथ एशिया के एडिटर इन चीफ, फायनेंशियल एक्सप्रेस के फॉर्मर डिप्टी एडिटर-फीचर्स राजीव टिक्कू। 
 
टिक्कू ने फिल्म्स ऑन सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स एंड कम्युनिटी रेडियो पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने ह्यूमन डवलपमेंट एंड सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स, एसडीजी एंड मीडिया, मीडिया एंड कम्यूनिटी मीडिया, कम्यूनिटी मीडिया एंड एसडीजी एवं रिसोर्स ऑफ मीडिया पर अपने विचार व्यक्त किए एवं प्रतिभागियों के सवालों के जवाब भी दिए। 
 
‍विश्वविद्यालय के डीन, फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन, प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने आरंभ में स्वागत उद्बोधन दिया एवं वेबिनार के अंत में आभार जताया। वेबिनार में देश के विभिन्न प्रदेशों से सैकड़ों विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
ये भी पढ़ें
पत्रकारिता में गुणवत्ता एवं नैतिकता जरूरी-प्रो. रहमान