Book released on Mahayuti government in Maharashtra : शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने शुक्रवार को सत्तारूढ़ महायुति सरकार की 'काली करतूतों' पर एक किताब के विमोचन के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया। जयंत पाटिल ने कहा, यह ट्रिपल इंजन वाली सरकार नहीं है, यह ट्रबल इंजन वाली सरकार है।
पुस्तक का विमोचन करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इसे ट्रिपल इंजन नहीं, बल्कि ट्रबल इंजन (तीन इंजनों वाली नहीं, मुसीबत वाली) सरकार करार दिया। राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल हैं।
लाड़की खुर्ची (कुर्सी) योजना शुरू की जानी चाहिए : पाटिल ने कहा कि वंचित महिलाओं को 1500 रुपए मासिक सहायता देने का वादा करने वाली 'लाड़की बहन योजना' के स्थान पर 'लाड़की खुर्ची (कुर्सी) योजना' शुरू की जानी चाहिए ताकि मुख्यमंत्री बनने की आकांक्षा रखने वाले सभी लोगों की मांगों को पूरा किया जा सके।
महायुति सरकार के काले कारनामों पर अपनी किताब में, राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने सत्तारूढ़ गठबंधन की 10 विफलताओं को उजागर किया, जबकि राज्य में कुशासन और भ्रष्टाचार पर तीखा हमला किया। पाटिल ने दक्षिण मुंबई के बैलार्ड एस्टेट स्थित पार्टी कार्यालय में शिरूर के सांसद अमोल कोल्हे, पार्टी की घोषणा पत्र समिति की अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य वंदना चव्हाण तथा छात्र इकाई के अध्यक्ष सुनील गव्हाणे के साथ पुस्तक का विमोचन किया।
यह ट्रबल इंजन वाली सरकार है : जयंत पाटिल ने कहा, यह ट्रिपल इंजन वाली सरकार नहीं है, यह ट्रबल इंजन वाली सरकार है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि राज्य में लाड़की खुर्ची (लाड़की कुर्सी) शुरू की जानी चाहिए। शरद पवार द्वारा स्थापित राकांपा में पिछले साल तब विभाजन हो गया था जब अजित पवार अपने वफादार विधायकों को लेकर सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में उन्हें पार्टी का नाम और घड़ी का चुनाव चिन्ह मिला।
मुख्यमंत्री शिंदे पर निशाना साधते हुए पाटिल ने कहा, मुख्यमंत्री दावोस जाते हैं और फिर चार लाख करोड़ रुपए के निवेश की बात करते हैं, लेकिन ये सिर्फ दावे हैं। उसमें से कितना निवेश महाराष्ट्र में आया है? कितनी नौकरियां पैदा हुई हैं? इस पुस्तक में एक काले रंग का गुब्बारा है जिस पर तीन कौवे बैठे हुए हैं। अमोल कोल्हे ने इसे महाराष्ट्र में गांधी जी के तीन बंदरों का नया रूप बताया है।
उन्होंने कहा कि जहां (गांधीजी के) मूल बंदरों की विचारधारा बुरा न देखने, बुरा न सुनने, बुरा न बोलने पर केंद्रित थी, वहीं महाराष्ट्र के कौवे राज्य में किसी भी सकारात्मक कार्य के बारे में न देखने, न सुनने और न बात करने की नई विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पुस्तक विमोचन के अलावा, राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेताओं ने आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के लिए अपने घोषणा पत्र के वास्ते सुझावों को क्राउडसोर्स (जनता से सुझाव मांगने) करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour