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भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है : राजेन्द्र चौधरी

भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है : राजेन्द्र चौधरी - BJP, Rajendra Chaudhary, Akhilesh Yadav, SP
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में समाजवादी पार्टी कार्यालय में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि गोरखपुर और फूलपुर में हो रहे संसदीय उपचुनाव से भाजपा के लिए खतरे की घंटी बज गई है। जनता में गहरा आक्रोश है जो अब गली-चौराहों तक फूट रहा है।


दूसरी तरफ अखिलेश यादव के प्रति लोगों का आकर्षण 1975 में जेपी आंदोलन की याद दिलाता है। ठीक वैसे ही स्वतःस्फूर्त जन सैलाब अखिलेश को देखने व सुनने को उमड़ पड़ता है। मतदाताओं के रुझान को देखते हुए गोरखपुर और फूलपुर में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों क्रमशः इं. प्रवीण कुमार निषाद और नागेन्द्र प्रताप सिंह पटेल के पक्ष में अब अन्य दल भी सक्रिय हैं।

बसपा के झंडे समाजवादी पार्टी के झंडों के साथ लहरा रहे हैं। एनसीपी, रालोद, पीस पार्टी, निषाद पार्टी भाकपा, माकपा, प्रगतिशील मानव समाज पार्टी आदि तमाम दलों का समर्थन समाजवादी पार्टी को मिल रहा है, जिससे भाजपा में बौखलाहट है। यह बौखलाहट भाजपा नेताओं के आचरण और भाषणों में दिखाई देने लगी है। 7 मार्च 2018 को गोरखपुर और 9 मार्च 2018 को इलाहाबाद में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनावी जनसभाओं को सम्बोधित किया।

उन्होंने भाजपा के अनर्गल प्रलापों का सटीक जवाब दिया। इसके बाद तो पूरे गोरखपुर क्षेत्र की फिजां ही बदल गई। यदि यह कहा जाए कि अब मतदाताओं का झुकाव समाजवादी पार्टी के पक्ष में इकतरफा हो गया है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। इलाहाबाद में आज तक सड़कों पर इतना बड़ा हुजूम किसी नेता के समर्थन में नहीं उतरा जितना 9 मार्च को जन सैलाब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के जनसमर्थन में दिखाई दिया।

बीस किलोमीटर के रास्ते में लाखों लोगों की भागीदारी थी जिसमें हजारों नौजवान बाइक पर काफिले में शामिल थे। महिलाएं-बच्चे छतों से अखिलेश का अभिवादन कर रहे थे। इलाहाबाद के प्रबुद्ध नागरिकों का मानना है कि अगर अखिलेश यादव दोबारा मुख्यमंत्री बनकर भी आते तो इतना जन सैलाब उमड़ नहीं सकता था जितना आज लाखों की संख्या में अखिलेश के इंतजार में थे।

समाजवादी सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों और भाजपा सरकार के विकास विरोधी चरित्र से पूरी तरह परिचित हो गई है। प्रयाग में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र, प्रोफेसर, अधिवक्ता सहित व्यापारियों से लेकर गांवों से पैदल चलकर आए किसानों ने समाजवादी पार्टी में अपना विश्वास प्रकट किया। छात्रों-नौजवानों, किसानों-व्यापारियों, महिलाओं सहित समाज के सभी वर्गों में जैसा उत्साह दिखा वह यह प्रमाणित करता है कि समाजवादी पार्टी पर ही जनता को भरोसा है।

इलाहाबाद में पूर्व मुख्यमंत्री यादव की लोकप्रियता का आलम यह था कि समाज के कमजोर तबके के लोग सड़कों पर दोनों तरफ अपने परंपरागत तरीके से उनका स्वागत-अभिनंदन कर रहे थे। दलित समाज के कई संगठन, सागर पेशा, सोनकर समाज, हेला समाज, पासी समाज ढोल-नगाड़े के साथ समाजवादी पार्टी के पक्ष में वोट मांग रहे थे। महिलाएं अपने बच्चों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की एक झलक पाने को उत्सुक थीं।

फूलपुर उपचुनाव को लेकर जनता का ऐसा महासमुद्र उमड़ना इलाहाबाद के लोगों के लिए एक नया अनुभव था। भीड़ इस कदर कि बीस किलोमीटर की दूरी पांच घंटे में बमुश्किल तय हो पाई। गोरखपुर की राजनीति कई दशकों से गोरखनाथ मंदिर की पीठ से नियंत्रित होती रही है। हकीकत तो यह है कि इस चुनाव क्षेत्र में जितने जनहित के काम समाजवादी सरकार में अखिलेश यादव ने कराए उतने काम तो दशकों से भाजपा शासित किसी राज्य में भी नहीं हुए।

जनता के मन में अखिलेश किस गहराई तक बसे हैं इसका नजारा तो एयरपोर्ट से लेकर सभास्थल चम्पादेवी पार्क तक दिखा, जहां जगह-जगह नौजवानों का कारवां अपने नेता के स्वागत में पलक-पांवड़े बिछाए दिखता था। महिलाएं रास्ते में फूल वर्षा कर रही थीं। बुजुर्ग महिलाएं समाजवादी पेंशन छीने जाने से नाराज थीं। वे सब अखिलेश यादव को आशीर्वाद दे रही थीं। गोरखपुर के रामगढ़ ताल पर भी जनसमुद्र उमड़ा हुआ था।

अखिलेश यादव की इलाहाबाद और गोरखपुर की जनसभाओं में हर संप्रदाय और समाज के लोग शामिल थे। प्रत्येक में लगभग लाखों लोगों की भीड़ में अखिलेश ने लोकतंत्र को बचाने का आह्वान किया। उन्होंने हर मोर्चे पर भाजपा सरकार की विफलता का जिक्र किया और कहा कि भाजपा सरकार संवेदना शून्य है।

गोरखपुर और इलाहाबाद की दोनों जनसभाओं में अखिलेश यादव ने एक-एक घंटा सम्बोधित कर जनता को सराबोर इस हद तक किया कि सौ प्रतिशत समर्थन का जनता ने भरोसा दिया है। अखिलेश यादव ने अपील की कि लोकतंत्र में असली ताकत जनता के हाथ में होती है। लोकसभा के इन उपचुनावों में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों की जीत सें भारतीय राजनीति को नई दिशा मिलेगी। 
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