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Last Updated : मंगलवार, 9 अगस्त 2022 (00:47 IST)

Bihar Politics : फिसलती सत्ता को बचाने के लिए अमित शाह ने संभाली कमान, CM नीतीश से की फोन पर बात

Bihar Politics : फिसलती सत्ता को बचाने के लिए अमित शाह ने संभाली कमान, CM नीतीश से की फोन पर बात - bihar news will bjp jdu alliance break in bihar amit shah spoke to angry nitish kumar know all updates
पटना। बिहार में नीतीश कुमार की भाजपा से दूरी की खबरों के बीच सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के बीच फोन पर बात हुई है। मीडिया खबरों के अनुसार दोनों नेताओं ने फोन पर कुछ देर बात की है। बिहार (Bihar) में जारी राजनीतिक संकट को लेकर भाजपा 'रुको और देखो' की नीति अपना रही है। जदयू और लालू प्रसाद यादव नीत राजद के विधायकों की कल एक साथ बैठक करने की घोषणा से पहले से ही राजनीतिक रूप से सक्रिय राज्य का सियासी पारा और चढ़ेगा।
नीतीश कुमार वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे। भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे।
 
राजद गले लगाने को तैयार : राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड , जद (यू) को ‘गले लगाने’को तैयार है, बशर्ते वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ छोड़ दे। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मंगलवार को दोनों दलों द्वारा विधायकों की बैठक बुलाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि स्थिति असाधारण है।
 
उन्होंने कहा कि मुझे मौजूदा घटनाक्रम के बारे में व्यक्तिगत रूप से कुछ पता नहीं है। लेकिन, हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि दोनों दलों (जिनके पास बहुमत हासिल करने के लिए पर्याप्त संख्या है) ने उस समय ऐसी बैठकें बुलाई हैं, जब विधानसभा का सत्र संचालन में नहीं है।’’
 
तिवारी ने कहा कि अगर नीतीश राजग को छोड़ने का फैसला लेते हैं तो हमारे पास उन्हें गले लगाने के अलावा और क्या विकल्प है। राजद भाजपा से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर मुख्यमंत्री इस लड़ाई में शामिल होने का फैसला करते हैं तो हमें उन्हें अपने साथ लेना ही होगा।
 
तिवारी से पूछा गया कि क्या राजद पूर्व के कड़वे अनुभवों को भुलाने को इच्छुक है, तो उन्होंने कहा कि राजनीति में हम इतिहास के बंधक बने नहीं रह सकते। हम समाजवादी हैं और शुरुआत कांग्रेस के विरोध से की थी जो उस समय सत्ता में थी। इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल संविधान का दुरूपयोग कर लगाया गया था। तिवारी ने कहा कि भाजपा अब विशालकाय हो गई है जो संविधान को नष्ट करती प्रतीत हो रही है। इस समय की चुनौती का हमें सामना करना है।’’
 
कांग्रेस-वामदलों का साथ : कांग्रेस और वामदलों ने भी सोमवार को संकेत दिया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका समर्थन करेंगे। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि कुमार की जदयू और भाजपा के बीच कुछ समय से चल रही खींचतान अब अंतिम पड़ाव के करीब पहुंच चुकी है।
जदयू की बैठक आज : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद उत्पन्न हालात पर चर्चा के लिए मंगलवार को पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई है। अहम बैठक से एक दिन पहले जदयू ने सोमवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो भी फैसला लिया जाएगा, वह पूरे संगठन को स्वीकार्य होगा।
 
जदयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश कुमार जदयू के निर्विवाद नेता हैं। उनका पार्टी के सभी नेता व कार्यकर्ता सम्मान करते हैं। इसलिए पार्टी में किसी विभाजन का सवाल ही नहीं है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में पार्टी जो भी फैसला लेगी, वह सभी को स्वीकार्य होगा।
 
नीतीश कुमार द्वारा ‘एक और राजनीतिक पलटी’ मारने के कयास एक बार फिर प्रबल तब हुए जब वे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए।
 
नवीनतम घटना क्रम में मुख्यमंत्री नीति आयोग की रविवार को हुई बैठक में भी शामिल नहीं हुए। इसके बाद जदयू ने घोषणा की कि वह अपने किसी प्रतिनिधि को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नहीं भेजेगी। जदयू के कोटे से आरसीपी सिंह मंत्री थे, जिन्हें राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने और दूसरा मौका नहीं मिलने पर इस्तीफा देना पड़ा। ये घटनाएं इंगित करती हैं कि राजग के इन दोनों घटकों के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
 
दोनों दलों के बीच गत कई महीने से तकरार चल रही है। इन दोनों के बीच कई मुद्दो पर सार्वजनिक रूप से असहमति देखने को मिली थी जिनमें जातीय आधार पर जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण कानून और सशस्त्र बलों में भर्ती की नई ‘‘अग्निपथ’’ योजना शामिल है।
 
क्या सोनिया से हुई बात : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं विधायक शकील अहमद खान ने कहा कि बैठक विधानमंडल में दल के नेता अजीत शर्मा के आवास पर होगी और इसमें बिहार के पार्टी प्रभारी भक्त चरण दास भी शामिल होने की संभावना है। खान ने कहा कि हम हमेशा मानते हैं कि समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ आना चाहिए।

समाजवादी विचारधारा में विश्वास रखने वाली मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू अगर भाजपा का साथ छोड़ती है तो हम निश्चित रूप से इसका स्वागत करेंगे। हम बैठक में स्थिति पर चर्चा करेंगे। उन खबरों के बारे में पूछे जाने पर कि बिहार के मुख्यमंत्री ने पिछली रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की थी, खान ने कहा कि मैं इसकी पुष्टि नहीं कर सकता। ऐसे मामलों पर केवल पार्टी के शीर्ष नेता ही टिप्पणी कर सकते हैं।
 
भाजपा ने संसद को बनाया बंधक : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (भाकपा-माले) ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा से नाता तोड़ने के लिए उठाए गए हर कदम का पार्टी स्वागत करेगी। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एक दर्जन विधायक वाली पार्टी भाकपा-माले के विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि भाजपा ने संसद को बंधक बना लिया है, हमारी पार्टी भाजपा को कमजोर करने वाले किसी भी कदम का समर्थन करेगी। (इनपुट एजेंसी)
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