लखनऊ। परिवारवादी समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर चाचा और भतीजे में कलह जारी है। लखनऊ में गुरुवार को नया मोड़ उस वक्त आ गया जब नाराज नेताओं और मंत्रियों के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बैठक के बाद अपने पिता सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और उसके बाद बगावत करते हुए अपनी ओर से 235 उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी कर दी। इसके ठीक बाद उनके चाचा शिवपाल यादव ने भी अपनी 68 लोगों की सूची जारी कर दी।
सपा की टिकट सूची से गायब पवन पांडे, राम गोविंद और अरविंद सिंह गोप को अखिलेश ने मैदान में उतारा है। इस बीच अखिलेश के द्वारा लिस्ट जारी के कुछ ही घंटों के भीतर मुलायम सिंह ने 68 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट भी जारी कर दी, इससे पहले मुलायम ने 325 सीटों के उम्मीदवारों के ऐलान किया था।
पहले अखिलेश की सूची में 167 उम्मीदवारों के होने की बात थी, जो बाद में बढ़कर 200 हो गई। देर रात अखिलेश ने 235 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी। इससे पहले अपने समर्थकों का टिकट काटे जाने से नाराज अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह से टिकट काटे जाने का आधार पूछा है। अखिलेश ने साथ ही अपने समर्थकों को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा।
अखिलेश यादव दोपहर से मंत्री और विधायकों के साथ बैठक कर रहे थे जो शाम तक चली। अखिलेश ने एक-एक मंत्री और विधायकों की बात सुनी। इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने यह सूची जारी की है।
इससे पहले अखिलेश की गैर-मौजूदगी में मुलायम की ओर से राज्य की कुल 403 विधानसभा सीटों में से 325 सीटों के उम्मीदवारों के ऐलान के एक दिन बाद मुख्यमंत्री ने यहां पार्टी के उन विधायकों और अपने वफादार नेताओं के साथ बैठक की जिन्हें टिकट नहीं दिया गया।
इस बैठक के बाद अखिलेश ने मुलायम से अपनी नाखुशी जाहिर की। मुलायम ने अपने भाई और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ मिलकर कल आनन-फानन में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में 325 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी। जिस वक्त सूची जारी की गई, उस वक्त अखिलेश बुंदेलखंड के दौरे पर थे।
टिकट से वंचित अपने वफादारों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के बाद सपा विधायक इंदल सिंह ने कहा कि अखिलेश आगामी विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों की अपनी अलग सूची जारी कर सकते हैं। उन्होंने कहा, 'हमें अखिलेशवादी होने का आशीर्वाद प्राप्त है। मुलायम हमारे आदर्श हैं, वह हमारे नेता हैं, लेकिन आज उत्तर प्रदेश के लोगों को अखिलेश की जरूरत है। उनके खिलाफ कुछ साजिशें हुई हैं।'
एक अन्य विधायक बृजलाल सोनकर ने बताया, 'मुख्यमंत्री ने हमें अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार करने के लिए कहा है। हम सब समाजवादी हैं, अवसरवादी नहीं...हमें टिकट नहीं चाहिए लेकिन हम चाहते हैं कि पार्टी जीते। हम चाहते हैं कि अखिलेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। 2019 में हम अखिलेश को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर दिल्ली ले जाएंगे।'
लखनऊ में सुबह से ही राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयीं थीं। पार्टी नेताओं का अखिलेश और मुलायम के आवास के सामने जमावड़ा शुरू हो गया था। अखिलेश ने कल रात संवाददाताओं से कहा था, 'सूची में कुछ ऐसे लोगों के नाम नहीं हैं, जो निश्चित तौर पर जीत सकते हैं। मैं सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष ये मुद्दा उठाउंगा और उनसे कहूंगा कि कुछ ने वाकई अच्छा कार्य किया है और उन्हें टिकट मिलना चाहिए।'
सूची में मौजूदा 176 विधायकों के भी नाम हैं। हालांकि, इसमें अखिलेश समर्थक कई मंत्रियों, जिनमें राम गोविंद चौधरी, पवन पांडेय और अरविंद सिंह गोप शामिल हैं, के नाम नहीं हैं। इस सूची में 50 से ज्यादा मौजूदा विधायकों के भी नाम नहीं हैं।
इसके अलावा, शिवपाल सहित जिन 10 मंत्रियों को मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ महीने में बर्खास्त किया था, उन्हें टिकट दिए गए हैं। ये पूर्व मंत्री खुलकर अखिलेश विरोध कर रहे थे, जिसका फायदा उन्हें मिला। सूची जारी होने के कुछ ही घंटों के भीतर अखिलेश ने कहा था कि वह उम्मीदवारों के चयन का मुद्दा पार्टी अध्यक्ष के सामने उठाएंगे।
कल रात अखिलेश ने कहा था, 'सूची में कुछ ऐसे उम्मीदवारों के नाम नहीं हैं जिनका जीतना तय है। मैं इस मुद्दे को सपा प्रमुख के सामने उठाऊंगा और उनसे कहूंगा कि उनमें से कुछ लोगों ने वाकई अच्छे काम किए हैं और उन्हें टिकट दिया जाना चाहिए।'
बीती रात ही पलटवार करते हुए अखिलेश ने शिवपाल के दो करीबी- उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद की उपाध्यक्ष सुरभि शुक्ला और राजकीय निर्माण निगम के सलाहकार एवं सुरभि के पति संदीप शुक्ला - को उनके पद से बर्खास्त कर दिया । संदीप को सुल्तानपुर सदर सीट से सपा उम्मीदवार बनाया गया है।