1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. प्रादेशिक
Written By ND

कसाब ने बताई आतंक की कहानी

अजमल अमीर कसाब
- चन्द्रकांत शिंदे

मुंबई हमलों में गिरफ्तार आतंकी मोहम्मद अजमल अमीर कसाब की पुलिस हिरासत की अवधि 24 दिसंबर तक दो सप्‍ताहों के लिए बढ़ा दी गई है। कसाब पर भारत के खिलाफ युद्ध और हत्या समेत एक दर्जन आरोप हैं।

सुरक्षा कारणों से कसाब को कोर्ट नहीं लाया गया, बल्कि मजिस्ट्रेट और एक सरकारी वकील पुलिस लॉक-अप में पहुँचे, जहाँ कसाब कैद है। कसाब ने ही एक अन्य आतंकी के साथ एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे और इंस्पेक्टर विजय सालस्कर को गोली मारी थी। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर गोलियाँ भी उसने चलाई थीं।

मुंबई आतंकी हमले में पुलिस के हाथ जिंदा लगे कसाब ने आतंकी हमले के बारे में पुलिस को सारी बातें लिखकर दी हैं। उसने लिखा- मैं मोहम्मद अजमल अमीर कसाब (उम्र 21 वर्ष) पता- फरीदकोट, तालुका- दिपालपुर, जिला- उकाड़ा, सुबा पंजाब, पाकिस्तान। सरकारी स्कूल में चौथी तक पढ़ा। 2000 में स्कूल छोड़ने के बाद लाहौर में अपने भाई अफजल के पास रहने गया।

2005 तक मैंने कई जगह छोटे-मोटे काम किए। 2005 में अपने पिता के साथ मेरा जोरदार झगड़ा हुआ। घर छोड़ दिया और लाहौर पहुँचा। एक दिन मैं साफिक नाम के व्यक्ति के साथ चला गया। साफिक ने मुझे प्रतिदिन 120 रुपए तनख्वाह देनी शुरू की, जो बाद में बढ़कर प्रतिदिन 200 रु. हो गई।

इसी दौरान मेरी मुलाकात मुजफ्फर खान (उम्र 22) से हुई। हम रावलपिंडी गए और वहाँ हमने चोरी करने की योजना बनाई। हमें रिवॉल्वर की जरूरत थी जिसके लिए हम लश्कर-ए-तोइबा के स्टॉल पर गए। बताया गया कि हथियार मिल सकता है, लेकिन उसे चलाना आना चाहिए। हथियार चलाना सीखने के लिए हमने लश्कर में शामिल होने का फैसला किया।

लश्कर के दफ्तर में एक व्यक्ति ने हमें 200 रुपए और एक रसीद देकर मुदरीके के मरकस तोइबा के पास चल रहे लश्कर के ट्रेनिंग कैम्प भेज दिया। ट्रेनिंग के बाद हमारा चयन दौरा आम के लिए किया गया। इस ट्रेनिंग के लिए हमें बुट्टल गाँव के मनसेरा में ले जाया गया। यहीं हमें हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।

इसके बाद मैं मुजफ्फराबाद के शेवैना स्थित लश्कर के आधुनिक हथियार ट्रेनिंग कैम्प गया। हमें चहलबंदी पहाड़ी पर दौरा खास के लिए ले जाया गया। तीन महीने की इस ट्रेनिंग में व्यायाम, हथियार चलाना, बम गिराना, रॉकेट लांचर और मोर्टार चलाने की ट्रेनिंग दी गई। यहाँ पर हमें भारतीय खुफिया एजेंसियों के बारे में जानकारी दी गई।

दौरा खास के लिए कुल 32 लोगों का चयन किया गया था जिसमें से सिर्फ 16 लोगों का चयन समुंदर के रास्ते भारत पर हमला करने के एक मिशन के लिए किया गया। यह ऑपरेशन जकी-उर-रहमान उर्फ चाचा करने वाला था। 13 लोगों को चाचा ने कापा नाम के व्यक्ति के पास भेज दिया। उसका कैम्प मुदरी के पास था।

वहाँ पर हमें समुद्र में तैरने और समुद्र में रहने की ट्रेनिंग दी गई। इसके लिए कुछ मछुआरों की भी मदद ली गई। सात दिन बाद हम फिर मुजफ्फराबाद के लश्कर के कैम्प में आ गए। इस समय हमें भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ रॉ के बारे में भी जानकारी दी गई। जकी-उर-रहमान उर्फ चाचा ने मुंबई पर हमला करने के लिए अंतिम दस लोगों का चयन किया।

15 सितंबर 2008 को दो-दो लोगों की जोड़ियाँ बनाई गईं। मेरा साथी था इस्माइल खान। हमारी जोड़ी का कोडवर्ड वीटीएस था। सीएसटी में सुबह और शाम को होने वाली भीड़ का वीडियो भी हमें दिखाया गया। सुबह 7 से 11 या शाम 7 से 11 के बीच हमला करने के लिए कहा गया। हमला करने के बाद वहीं के यात्रियों को बंदी बनाकर किसी बिल्डिंग में ले जाकर सरकार से अपनी माँगें पूरी कर लेने के लिए कहा गया।

हमारी जोड़ी के साथ ही अन्य चार जोड़ियाँ अबू अक्‍शा-अबू उमर, बड़ा अब्दुल रहमान-अबू अली, छोटा अब्दुल रहमान-अफादुल्ला और शोएब-अबू उमेर भी हमारे साथ थे।

बुधवार को पार्क में उतरने के बाद मैं इस्माइल के साथ सीएसटी की तरफ टैक्सी से निकला। सीएसटी पहुँचने के बाद मैं और इस्माइल टॉयलेट में गए और वहाँ पर फायरिंग शुरू की। वहाँ से हम रेलवे स्टेशन गए और गोलीबारी करने लगे। गोलीबारी करते हुए ही हम स्टेशन से बाहर गए।

एक बिल्डिंग में घुसे। बिल्डिंग की तीसरी और चौथी मंजिल पर हम लोगों को बंदी बनाने के लिए ढूँढ रहे थे, तब पता चला कि यह अस्पताल है। अस्पताल से निकलकर हम भाग रहे थे, तभी एक पुलिस की गाड़ी हमारे सामने आई। हम पास में झाड़ी में छिप गए। वह गाड़ी जाने के बाद और एक पुलिस की गाड़ी वहाँ पर आई और उसमें से एक ने हम पर गोलीबारी की जिसमें से एक गोली मेरे हाथ को लगी और मेरी एके-47 नीचे गिर गई।

इस्माइल ने उस गाड़ी पर अंधाधुंध फायरिंग की जिससे गाड़ी से हो रही गोलीबारी रुकी। हम दोनों गाड़ी के पास गए। गाड़ी में मरे पड़े लोगों की लाशें नीचे फेंक दीं और इस्माइल गाड़ी चलाने लगा।

हम आगे जा रहे थे उसी वक्त पुलिस ने हमारी गाड़ी रोकने की कोशिश की। इस समय इस्माइल ने गोलीबारी की। हम आगे जा रहे थे तभी हमारी गाड़ी का टायर पंक्चर हुआ।

इस्माइल गाड़ी से नीचे उतरा और एक कार उसने रोकी और बंदूक दिखाकर कार में सवार तीन महिलाओं को उतारकर उस पर कब्जा किया। समुंदर किनारे हमारी गाड़ी पुलिस द्वारा रोकी गई। पुलिस की गोली से इस्माइल जख्मी हुआ। मैं भी घायल था। उस समय मुझे पता चला कि मैं पुलिस की गिरफ्त में हूँ। (नईदुनिया)