Last Modified: नई दिल्ली (वार्ता) ,
शनिवार, 5 जनवरी 2008 (22:22 IST)
आई कार्ड पर कांग्रेस में मतभेद
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल ने राजधानी में नागरिकों के लिए पहचान पत्र को अनिवार्य बनाए जाने के फैसले को सही ठहराया है जबकि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित ने इसका विरोध किया है और इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है।
अग्रवाल ने प्रदेश कार्यालय में नववर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित भोज में कहा कि उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना का यह फैसला सही है और यह लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया है। लेकिन निजी चैनल को दी गई भेंटवार्ता में दीक्षित ने कहा है कि नागरिकों के लिए आई कार्ड को अनिवार्य बनाया जाना अव्यवहारिक है।
उन्होंने नाराजगी भरे स्वर में कहा कि वह 15 जनवरी के बाद खुद आई कार्ड नहीं रखेंगे और विरोध स्वरूप बगैर आई कार्ड के ही सड़कों पर चलेंगे। दीक्षित ने कहा कि दिल्ली के बाहर के लोगों को राजधानी में गाड़ी चलाने के लिए दिल्ली का लाइसेंस बनाए जाने का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इससे पूरी व्यवस्था दलालों के हाथों में चली जाएगी।
उन्होंने कहा कि यह आदेश पूरी तरह दमनकारी और काला कानून है। उन्होंने कहा कि यह आई कार्ड के खिलाफ नहीं है। पर इसको अनिवार्य बनाए जाने के विरुद्ध है। उनका कहना है कि अगर कोई व्यक्ति दिल्ली से बाहर का है और वह राजधानी में आया है, तो वह कहाँ से अपना आई कार्ड लाएगा। उन्होंने कहा कि कई लोग है जिनके पास कोई आई कार्ड नहीं है। कई लोग के आई कार्ड खो जाएँ तो क्या होगा।
यह कहे जाने पर कि क्या इससे आतंकवादियों की रोकथाम हो सकेगी, दीक्षित ने कहा कि अगर कोई बम फटता है, बम फोड़ने वाले यही कहेंगे कि वह दिल्ली के नागरिक नहीं है, बल्कि बाहर से आए है और उनके पास इसलिए आई कार्ड नहीं है, तो क्या पुलिस उन्हें छोड़ देगी।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि अगर मेरे पास आई कार्ड है और मेरी बेटी छोटी है और उसके पास आई कार्ड नहीं है तो क्या पुलिस उसे पकड़ लेगी। दीक्षित ने कहा कि यह कैसी राजधानी है जहाँ इस तरह के अजीबो-गरीब आदेश जारी किए जा रहे है।