Ram ka janam ki sahi tarikh : मानव का जन्म करीब 53 लाख वर्ष पहले हुआ माना जाता है जबकि आधुनिक मानव का जन्म करीब 3.5 लाख वर्ष पूर्व हुआ था। विज्ञान के अनुसार करीब 450 पीढ़ियों पूर्व से मानव सभ्य होना प्रारंभ हुआ है। यदि हम श्रीराम के जन्म बात करें तो शोध कुछ और कहते हैं और पुराण कुछ और। आओ जानते हैं कि आखिर में सच क्या है।
श्रीराम का जन्म त्रेतायुग में हुआ था:-
युग की धारणा हमें पुराण और ज्योतिष में तीन तरह से मिलती है। पहली वह जिसमें एक युग लाखों वर्ष का होता है और दूसरी वह जिसमें एक युग 5 वर्ष का होता है और तीसरी वह जिसमें एक युग 1250 वर्ष का है।
पहली:- पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2023= 5125 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं।
उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000+ कलियुग के 5126 वर्ष= 869126 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 126 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। कहते हैं कि श्रीराम 11 हजार वर्षों तक जिंदा रहे थे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,126 वर्ष = कुल 8,80,116 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 8,80,115 वर्ष पहले माना जाता है।
दूसरी :- 5 वर्ष का एक युग की धारणा अनुसार यानी भारतीय ज्योतिषियों ने समय की धारणा को सिद्ध धरती के सूर्य की परिक्रमा के आधार पर नहीं प्रतिपादित किया है। उन्होंने संपूर्ण तारामंडल में धरती के परिभ्रमण के पूर्ण कर लेने तक की गणना करके वर्ष के आगे के समय को भी प्रतिपादित किया है। वर्ष को 'संवत्सर' कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं। बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं। 12 युगों के नाम हैं- प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षय। प्रत्येक युग के जो 5 वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और 5वां युगवत्सर है। इस मान से देखें तो कलिकाल के 5126 में ही कई युग बित गए हैं।
तीसरी :- 1250 वर्ष का एक युग की पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक युग का समय 1250 वर्ष का माना गया है। इस मान से चारों युग की एक चक्र 5 हजार वर्षों में पूर्ण हो जाता है। यदि इस मान से देखें तो द्वापर और कलियुग के 2500 वर्ष बीत चुके हैं। मतलब यह कि 2500 वर्ष पूर्व श्रीराम हुए थे क्या। यदि यह मान लेते हैं कि यह चार युगों का तीसरा चक्र चल रहा है तो निश्चित ही फिर श्रीराम का जन्म 5000 ईसा वर्ष पूर्व हुआ होगा।
राम के वंशजों की पीढ़ीयों के अनुसार : उपरोक्त बात युग के मान से स्पष्ट नहीं है। दूसरी बात यह कि यदि आप भगवान श्रीराम की वंशावली के मान से गणना करते हैं तो यह लाखों नहीं हजारों वर्ष की बैठती है। जैसे श्रीराम के बाद उनके पुत्र लव और कुश हुए फिर उनकी पीढ़ियों में आगे चलकर महाभारत काल में शल्य हुए। एक शोधानुसार कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए।
वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपूर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे। अब यदि तीन पीढ़ियों का काल लगभग 100 वर्ष में पूर्ण होता है तो इस मान से श्रीराम को हुए कितने हजार वर्ष हुए हैं आप इस 309 पीढ़ी के मान से अनुमान लगा सकते हैं।
आधुनिक शोध क्या कहता है?
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उपरोक्त धारणा से भिन्न आधुनिक शोध पर आधारित धारणा ज्यादा सही मानी जा रही है।
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इस शोध का आधार रामायण में बताई गई खगोलीय स्थिति और देशभर में बिखरे सबूत हैं।
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उन सबूतों का कार्बन डेटिंग के आधार पर जांच कर उसका मिलान रामायण में बताए गए घटनाक्रम से किया गया है।
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इस शोधानुसार 5114 ईसा पूर्व 10 जनवरी को दिन के 12.05 पर भगवान राम का जन्म हुआ था।
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जबकि सैंकड़ों वर्षों से चैत्र मास (मार्च) की नवमी को रामनवमी के रूप में मनाया जाता रहा है।
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हजारों वर्षों में मौसम चक्र बदलता रहता है और यह आगे बढ़कर कुछ और तारीख में हो जाता है।
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जैसे पूर्व में मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी परंतु अब 15 जनवरी को और भविष्य में 23 जनवरी को मनाई जाएगी।
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एक अन्य शोख के अनुसार राम की जन्म दिनांक वाल्मीकि द्वारा बताए गए ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर ने तय की है।
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इस सॉफ्टवेयर के अनुसार 4 दिसंबर 7323 ईसा पूर्व अर्थात आज से 9347 वर्ष पूर्व हुआ था।
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राम के जन्म पर कई शोध हुए हैं लेकिन सबसे सटीक शोध प्रोफेसर तोबयस का रहा।
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वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी तिथि एवं पुनर्वसु नक्षत्र में जब 5 ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब हुआ था।
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इस प्रकार सूर्य मेष में 10 डिग्री, मंगल मकर में 28 डिग्री, ब्रहस्पति कर्क में 5 डिग्री पर, शुक्र मीन में 27 डिग्री पर एवं शनि तुला राशि में 20 डिग्री पर था। (बाल कांड 18/श्लोक 8, 9)।
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शोधकर्ता डॉ. वर्तक पीवी वर्तक के अनुसार ऐसी स्थिति 7323 ईसा पूर्व दिसंबर में ही निर्मित हुई थी, लेकिन प्रोफेसर तोबयस के अनुसार जन्म के ग्रहों के विन्यास के आधार पर 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व हुआ था।
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उनके अनुसार ऐसी आकाशीय स्थिति तब भी बनी थी। तब 12 बजकर 25 मिनट पर आकाश में ऐसा ही दृष्य था जो कि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
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इसका मतलब यह कि राम का जन्म 10 जनवरी को 12 बजकर 25 मिनट पर 5114 ईसा पूर्व हुआ था।
निष्कर्श:- राम का जन्म लाखों वर्ष पूर्व नहीं, कुछ हजारों वर्ष पूर्व ही हुआ था। हमें इस दिशा में शोध और विचार करने की जरूर है। राम एक ऐतिहासिक व्यक्ति हैं और उन पर विरोधाभाष पैदा करना उचित नहीं होगा। जरूरत है कि पुराण और अन्य ग्रंथों की बातों को छोड़कर वाल्मीकि रामायण में जो लिखा है उसे सत्य माना जाए। क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने ही भगवान राम और उनके काल के बारे में उचित वर्णन किया है।
- संदर्भ : (वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: सरोज बाला, अशोक भटनाकर, कुलभूषण मिश्र)