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Last Updated : सोमवार, 10 जनवरी 2022 (21:04 IST)

नवजोत सिंह सिद्धू ने वापस लिया अपना इस्तीफा, बने रहेंगे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष

नवजोत सिंह सिद्धू ने वापस लिया अपना इस्तीफा, बने रहेंगे पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष - Navjot Singh Sidhu withdraws his resignation
चंडीगढ़। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने पार्टी की पंजाब इकाई के प्रमुख के पद से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है, लेकिन साथ ही यह भी घोषणा की कि जब तक राज्य के नए महाधिवक्ता को हटा नहीं दिया जाता वह इसकी जिम्मेदारी फिर से नहीं संभालेंगे।

पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा वापस लेने की यहां घोषणा करने के दौरान भी सिद्धू ने चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली राज्य की नई कांग्रेस सरकार पर निशाना बनाना जारी रखा। सिद्धू ने गत 28 सितंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे पार्टी की पंजाब इकाई में एक नया संकट उत्पन्न हो गया था, क्योंकि पार्टी अगले विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही थी।

हालांकि कुछ दिनों बाद कांग्रेस नेताओं ने संकेत दिया कि वह उस जिम्मेदारी को संभालना जारी रखेंगे, जो उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के साथ सत्ता संघर्ष के बीच दी गई थी। सिद्धू ने कहा, मैं शुरुआत यह कहने के साथ करना चाहूंगा कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के सिपाही ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।

उन्होंने कहा, मैंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है और मैं स्पष्ट रूप से कहता हूं कि जिस दिन नए महाधिवक्ता की नियुक्ति होगी, मैं कार्यभार ग्रहण करूंगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिस दिन नए पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के लिए समिति का गठन होगा, उसी दिन से वह पार्टी के पद का कार्यभार संभालेंगे।

उन्होंने इससे पहले राज्य के महाधिवक्ता के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता एपीएस देओल की नियुक्ति पर अपनी आपत्ति व्यक्त की थी। सिद्धू ने चन्नी की पसंद माने जाने वाले राज्य के महाधिवक्ता एपीएस देओल और पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति का विरोध किया है। उन्होंने पहले संकेत दिया था कि ये दो नियुक्तियां उनके पद छोड़ने के कारण का हिस्सा थीं।

सहोता ने 2015 में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए पूर्ववर्ती शिअद-भाजपा सरकार द्वारा गठित एसआईटी का नेतृत्व किया था। वहीं एक अधिवक्ता के तौर पर देओल ने पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी का प्रतिनिधित्व किया था, जिन्होंने छह साल पहले तब राज्य पुलिस का नेतृत्व किया था, जब बेअदबी की घटनाएं हुई थीं और प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी हुई थी।

सिद्धू ने कहा, यह कोई व्यक्तिगत अहंकार नहीं है। उन्होंने यह तर्क दिया कि महाधिवक्ता (एजी) और डीजीपी का पद बरगाड़ी बेअदबी और मादक पदार्थों की तस्करी के मामलों को उनके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सिद्धू ने अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह सिर्फ इतना पूछ रहे हैं कि चन्नी सरकार ने पिछले 50 दिनों में बेअदबी मामले में और नशीली दवाओं के मामलों पर एक विशेष कार्यबल की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर क्या किया है।

उन्होंने कहा, मैं कहता हूं कि अगर आपके पास एसटीएफ की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं है, तो इसे पार्टी को दें और मैं इसे सार्वजनिक कर दूंगा। मुझमें हिम्मत है। सिद्धू ने तंज कसते हुए कहा कि तीन विशेष जांच दल, सात प्राथमिकी, दो जांच आयोग और बेअदबी मामले के छह साल बाद क्या राज्य सरकार को केवल यही अधिकारी मिल पाए। उन्होंने कहा कि डीजीपी सहोता पूर्व पुलिस प्रमुख सुमेध सिंह सैनी के पसंदीदा थे।

उन्होंने कहा, वह...पंजाब का डीजीपी बन जाता है। यह बड़ा सवाल है, यह मेरा नहीं, बल्कि पंजाब के लोगों का सवाल है। सिद्धू ने कहा कि पार्टी बेअदबी और नशीली दवाओं के मुद्दे पर लोगों का सामना नहीं कर पाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस 2017 में इन मुद्दों पर कार्रवाई का वादा करके सत्ता में आई थी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में इस बात पर जोर दिया कि चन्नी से उनका कोई मतभेद नहीं है।

सिद्धू ने कहा, मैं उनसे बात कर रहा हूं। मैं उनसे राज्य के लिए, राज्य की भलाई के लिए किए जाने वाले कार्य के लिए बात करता हूं। चरणजीत चन्नी से मेरा कोई मतभेद नहीं है। मैं पंजाब के लिए खड़ा हूं, जो मेरी आत्मा है, केवल इतना ही।

उन्होंने कहा, मैं किसी से नाराज नहीं हूं, मैं सिर्फ मुद्दे उठाता हूं, मैं पंजाब के लोगों की आवाज उठाता हूं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बिजली आपूर्ति और रोजगार पर लंबे वादों के बारे में उनकी हालिया टिप्पणी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल पर लक्षित थी, न कि चन्नी पर।

उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर सत्ता को केंद्रीकृत करने और अधिकारियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। सिद्धू ने कहा कि लोग एक ऐसा नेता चुनते हैं, जिससे वे प्यार करते हैं और कहा कि वह सत्ता के लिए लालायित नहीं हैं।

सिद्धू ने भाजपा में रहने के समय का जिक्र करते हुए कहा, मैंने पद छोड़ दिए.. मुझे बड़े प्रस्ताव दिए गए, लेकिन मैंने पंजाब के लिए उन सभी को खारिज कर दिया। सिद्धू के विरोधियों का दावा है कि कुछ महीने बाद ही होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद यदि कांग्रेस राज्य में सत्ता में लौटती है तो वह मुख्यमंत्री बनने की संभावना देख रहे हैं।(भाषा)