• Webdunia Deals
  1. कुंभ मेला
  2. प्रयागराज कुंभ मेला 2025
  3. प्रयागराज कुंभ मेला न्यूज
  4. Maha Kumbh Neither will eyelids bow down nor heart will be satisfied
Last Modified: सोमवार, 27 जनवरी 2025 (19:38 IST)

महाकुंभ : न पलक झुकेगी, न मन भरेगा

महाकुंभ : न पलक झुकेगी, न मन भरेगा - Maha Kumbh Neither will eyelids bow down nor heart will be satisfied
Prayagraj Maha Kumbh: तीरथ राज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम के महाकुंभ के बारे में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता। खुद में यह अद्भुत, अविस्मरणीय और अकल्पनीय है। यहां सिर्फ दो नदियों का पवित्र संगम ही नहीं, अध्यात्म और विज्ञान का भी संगम है। भारत की विराट संस्कृति और बेहद संपन्न धर्म एवं अध्यात्म का जीवंत स्वरूप है वैश्विक समागम के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ का। महाकुंभ देश विविधता को एकता में बांधने का सबसे बड़ा आयोजन है। यहां धर्म, कर्म अध्यात्म, भक्ति, उपासना, दर्शन सब कुछ है। साथ ही इस सबका अद्भुत समावेश भी। महाकुंभ अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक का उदघोष है।
 
वैश्विक है मानवता के सबसे बड़े संगम महाकुंभ का स्वरूप  : यहां उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरा भारत मौजूद है। सिर्फ भारत ही क्या संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, रूस, फिजी, मॉरीशस, ट्रिनिडाड, टोबेको, फिजी, फिनलैंड, गुयाना, मलेशिया, सिंगापुर, आइसलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, ग्रीस दुबई सब कुछ है। इसके इसी विशालता के कारण 2017 में यूनेस्को ने कुंभ को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया। 
यूनेस्को की मान्यता योगी की ब्रांडिंग और कुंभ 2019 के सफल आयोजन से वैश्विक आकर्षण का और बड़ा केंद्र हो गया। 
 
महाकुंभ की सफलता एक सन्यासी का संकल्प : उल्लेखनीय है कि 2017 में ही प्रदेश को योगी आदित्यनाथ के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला जो मूलतः संन्यासी हैं। वह गोरखपुर स्थित उत्तर भारत की प्रमुख पीठ गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं। स्वाभाविक है धर्म, अध्यात्म और योग उनके रुचि के विषय हैं। इसकी वजह से उन्होंने 2019 के कुंभ के सफल आयोजन को मिशन बना लिया। आयोजन सफल भी रहा। अब जब 2025 में महाकुंभ का आयोजन चल रहा है तब योगी और भी शिद्दत से इसके आयोजन में लगे हैं। उन्होंने कुंभ को तकनीक के इस युग में डिजिटल बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। सुरक्षा और सफाई शुरू से उनकी प्रतिबद्धता रही है। वह इस आयोजन में भी दिख रही है।
 
गंगा की रेती पर बसा है एक संसार : गंगा की रेती पर कुछ दिन के लिए ही सही पूरा संसार बसा है। ऐसा संसार जिसमें सबके रहने और खाने का इंतजाम है। रात होते ही रेती पर जगमग तंबुओं के यह संसार झक रोशनी से और निखर जाता है। जगह धर्म, अध्यात्म और भक्ति की गंगा प्रवाहित होने लगती है। तड़के पवित्र संगम या मोक्षदायिनी, पापनाशिनी गंगा में डुबकी लगाने वाले हाथ जोड़े, श्रद्धा से सिर झुकाए धर्म और अध्यात्म के इस संगम में गोता लगाते हैं। अपलक आंखों से। उनको देख किसी फिल्म का यह गीत बरबस याद आ जाता है, 'अभी न जाओ छोड़ के कि दिल अभी भरा नहीं...।'
 
महाकुंभ आपको बुला रहा है, सरकार दिल खोलकर स्वागत कर रही है : जन मन का यह आयोजन आपको भी बुला रहा है। जरूर जाइए। आप देखेंगे कि यहां किसी से भेद नहीं होता। यहां लोगों के ललाट पर लगे चंदन के बीच के टीकों को देखिए। इन पर निज श्रद्धा के अनुसार राधे राधे, जय श्रीराम, हर हर महादेव, हर हर गंगे, राधा कृष्ण सब मिल जाएगा। महाकुंभ में आने वाले सबका एक ही मकसद है। पावन संगम में डुबकी लगाकर पापमुक्त होने और मोक्ष का। कुछ स्नान करने आ रहे हैं तो अगले को बिना पूछे बता रहे हैं कि आपको कहां कैसे जाना है। कुछ जिनको अभी स्नान करना है, वह संगम का पता पूछ रहे है। बताने वाला पूरे इत्मीनान से उनको बता भी रहा है।
 
यहां के धार्मिक और आध्यात्मिक वातावरण में शांति है, सकून है और तीरथ राज की ऊर्जा भी। खुद के साथ लोककल्याण की भावना भी। अपनी सनातन परंपरा वसुधैव कुटुम्बक के अनुरूप। गंगा की हिलोरें लेती धारा यमुना की अगाध जलराशि आपको पुण्य की डुबकी लेने को आमंत्रित करती हैं। इधर रेती में तंबुओं में बसा मनुष्यों का सैलाब संगम में समाने को आतुर रहता है। इस अहसास की कल्पना वही कर सकता जिसने कुंभ को देखा हो। उसकी भावनाओं को आत्मसात किया हो। यह करने के लिए प्रयागराज का यह महाकुंभ अब भी आपको बुला रहा है। योगी सरकार भी आपके स्वागत सत्कार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ने को आमादा है। (फोटो : गिरीश पांडेय) 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
ये भी पढ़ें
दर्द महाकुंभ में खोए हुए जूतों का