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Written By WD Feature Desk
Last Updated : सोमवार, 27 जनवरी 2025 (12:26 IST)

क्या हैं महामंडलेश्वर बनने के नियम और योग्यता, किस परीक्षा से गुजरने के बाद मिलता है ये पद?

क्या हैं महामंडलेश्वर बनने के नियम और योग्यता, किस परीक्षा से गुजरने के बाद मिलता है ये पद? - mahamandaleshwar kaise banate hain
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों को लेकर काफी चर्चा है साथ ही लोगों के मन में अखाड़ों में महामंडलेश्वर के पद को लेकर भी जिज्ञासा है। आखिर क्या होती है महामंडलेश्वर की पदवी और किसे मिलती है यह? क्या इसके लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत होती है और क्या इसके लिए किसी परीक्षा में भी पास होना पड़ता है आइये आज आपको इन्हीं सब सवालों के जवाब देते हैं।

असल में महामंडलेश्वर का पद बहुत वैभवशाली होता है। महामंडलेश्वर का जीवन त्याग से परिपूर्ण होता है। यह पदवी पाने के लिए पांच स्तरीय जांच, ज्ञान-वैराग्य की परीक्षा में खरा उतरना पड़ता है। पदवी मिलने के बाद तमाम प्रतिबंध से जीवनभर बंधकर रहना पड़ता है। उसकी अनदेखी करने पर अखाड़े से निष्कासित हो जाते हैं। आइये आज इस आलेख में इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं।

थानापति के जरिए कराई जाती है पड़ताल
अखाड़ों से कोई व्यक्ति संन्यास अथवा महामंडलेश्वर की उपाधि के लिए संपर्क करता है तो उसे अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, सगे-संबंधियों का ब्योरा और नौकरी-व्यवसाय की जानकारी देनी होती है। अखाड़े के थानापति के जरिए उसकी पड़ताल कराई जाती है। थानापति की रिपोर्ट मिलने पर अखाड़े के सचिव व पंच अलग-अलग जांच करते हैं। कुछ लोग संबंधित व्यक्ति के घर जाकर परिवारीजनों व रिश्तेदारों से संपर्क करके सच्चाई का पता करते हैं। जहां से शिक्षा ग्रहण किए होते हैं उस स्कूल-कालेज भी संतों की टीम जाती है।

स्थानीय थाना से जानकारी मांगी जाती है कि कोई आपराधिक संलिप्तता तो नहीं है। इसकी जांच पुलिस से कराई जाती है। समस्त रिपोर्ट अखाड़े के सभापति को दी जाती है। वह अपने स्तर से जांच करवाते हैं। फिर अखाड़े के पंच उनके ज्ञान की परीक्षा लेते हैं। उसमें खरा उतरने पर महामंडलेश्वर की उपाधि देने का निर्णय होता है।

होनी चाहिए यह योग्यता
महामंडलेश्वर का पद जिम्मेदारी वाला है। इसके लिए शास्त्री, आचार्य होना जरूरी है, जिसने वेदांग की शिक्षा हासिल कर रखी हो, अगर ऐसी डिग्री न हो तो व्यक्ति कथावाचक हो, उसके वहां मठ होना आवश्यक है। मठ में जनकल्याण के लिए सुविधाओं का अवलोकन किया जाता है।
देखा जाता है कि वहां पर सनातन धर्मावलंबियों के लिए विद्यालय, मंदिर, गोशाला आदि का संचालन कर रहे हैं अथवा नहीं? अगर अपेक्षा के अनुरूप काम होता है तो पदवी मिल जाती है। वहीं, तमाम डॉक्टर, पुलिस-प्रशासन के अधिकारी, इंजीनियर, वैज्ञानिक, अधिवक्ता व राजनेता भी सामाजिक जीवन से मोहभंग होने पर संन्यास लेते हैं। ऐसे लोगों को अखाड़े महामंडलेश्वर बनाते हैं। इनके लिए संन्यास में उम्र की छूट रहती है। वह दो-तीन वर्ष तक संन्यास लिए रहते हैं तब भी महामंडलेश्वर बनाए जाते हैं।

 
रहती है यह पाबंदी
  • घर-परिवार के लोगों से दूरी रखनी पड़ती है। अगर संपर्क सामने आता है तो अखाड़े से निष्कासित हो जाते हैं।
  • चारित्रिक दोष नहीं लगना चाहिए।
  • आपराधिक छवि के व्यक्ति से संबंध नहीं होना चाहिए।
  • भोग-विलासिता युक्त जीवन नहीं होना चाहिए।
  • किसी व्यक्ति की जमीन अथवा दूसरी संपत्ति पर कब्जा करने का आरोप नहीं लगना चाहिए।
  • मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहना होगा।