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Last Updated :महाकुम्भनगर , मंगलवार, 14 जनवरी 2025 (23:29 IST)

mahakumbh prayagraj 2025 में आस्था का सैलाब, अमृत स्नान पर्व पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

पौराणिक मान्यता के अनुसार महाकुम्भ में मकर संक्रांति के स्नान को अमृत स्नान माना जाता है। आज भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर परंपरा अनुसार साधु-संन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-व

mahakumbh prayagraj 2025 में आस्था का सैलाब, अमृत स्नान पर्व पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी - maha kumbh first amrit snan on makar sankranti held around 3.5 cr devotees take dip
maha kumbh first amrit snan on makar sankranti held around 3.5 cr devotees take dip : तीर्थराज, प्रयागराज में सनातन आस्था के महापर्व, महाकुंभ के अवसर पर मंगलवार को मकर संक्रांति के मौके पर साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोगों ने अमृत स्नान किया।
 
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाकुम्भ में मकर संक्रांति के स्नान को अमृत स्नान माना जाता है। आज भगवान सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि पर परंपरा अनुसार साधु-संन्यासियों के अखाड़ों ने पूरे विधि-विधान से शोभा यात्रा निकालते हुए अमृत स्नान किया। सनातान परंपरा में आस्था रखने वाले श्रद्धालु अखाड़ों के अमृत स्नान को देखने और नागा, बैरागी साधु-संतों का आशीर्वाद पाने के लिये कतारबद्ध हो कर खड़े थे। हाथों में माले, भाले, तीर, तलवार, त्रिशूल लिए नागा साधुओं ने ब्रह्ममुहूर्त में ही संगम में अमृत स्नान किया।
 
सहस्त्राब्दियों से चली आ रही महाकुम्भ में अमृत स्नान की अक्षुण सनातन परंपरा को जीवंत होता देख आम जनमानस भाव विह्वल हो उठा। हिमालाय की कंदराओं, मठों, मंदिरों में रहने वाले धर्म रक्षक नागा अपना रूप श्रृंगार कर मां गंगा की गोद में अठखेलियां करने उतर पड़े। परंपरा अनुसार अद्धरात्रि की बेला से ही अखाड़ों में अमृत स्नान की तैयारियां शुरू हो गई थी। अखाड़े परंपरा और अपने क्रम के अनुसार पूरे लाव-लश्कर के साथ संगम की ओर बढ़ते जा रहे थे।
महानिर्वाणी अखाड़े के साथ शुरुआत : अमृत स्नान की शुरूआत महानिर्वाणी अखाड़े के स्नान के साथ हुई। इसके बाद पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार निरंजनी अखाड़ा, पंचदशनाम जूना अखाड़े के साथ आवाह्न और पंच अग्नि अखाड़े के नागा साधुओं ने स्नान किया। इनके बाद क्रमशः श्री पंच निर्मोही, पंच दिगम्बर अनि और श्री पंच निर्वाणी अनि के बैरागी अखाड़ों ने अमृत स्नान किया। अमृत स्नान में अंतिम क्रम उदासीन अखाडा और निर्मल अखाड़े के साधु-संन्यासियों के स्नान का था।
महाकुम्भ में पहले अमृत स्नान के दिन सभी अखाड़ों के साधु, संत सबसे आगे अपने-अपने अखाड़ों की धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। धर्म ध्वजा के पीछे अखाड़ों के नागा संन्यासी इष्ट देव के जयकारे लगाते हुए, इष्ट देव के विग्रह लेकर बाजे-गाजे, ढोल, नगाड़े बजाते हुए त्रिवेणी संगम की ओर बढ़ रहे थे। उनके पीछे पीछे अस्त्र, शस्त्रों का प्रदर्शन करते हुए नागा संन्यासी, आम जन को दुर्लभ दर्शन और आशीर्वाद दे रहे थे। 
 
उनके पीछे क्रम से अखाड़ों के आचार्य, मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आचार्य महामण्डलेश्वरों के रथ सज-धज कर चल रहे थे। अखाड़ों के आचार्यों और मण्डलेश्वर के साथ उनके अनुयायी अपने गुरुओं की जयकार करते हुए चल रहे थे। होल्डिंग एरिया से नागा संन्यासी, अपने आचार्यों का अनुसरण करते हुए पूरे जोश और उत्साह के साथ मां गंगा की गोद में अमृत स्नान की डुबकी लगाई। इसके साथ ही करोड़ों की सख्यां में सनातन धर्मावलंबियों ने भी आस्था का अमृत स्नान किया।
 
पसंदीदा स्थान बना संगम नोज : महाकुंभ के पहले अमृत स्नान मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और संतों ने आस्था की डुबकी लगाई। श्रद्धालुओं की प्राथमिकता 'संगम नोज' रहा, जहां पर अखाड़ों के संतों और गुरुओं ने भी स्नान किया।
 
'संगम नोज' पर एक तरफ जहां अखाड़ों के संत आरक्षित स्थान पर स्नान कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ श्रद्धालु भी 'संगम नोज' पर स्नान कर पा रहे थे। एक धिकारिक बयान में कहा गया है कि ये सिंचाई विभाग की यांत्रिक शाखा यांत्रिक बैराज यांत्रिक खंड अनुरक्षण, वाराणसी के प्रयासों से मुमकिन हुआ।
 
इसके मुताबिक टीम ने शास्त्री ब्रिज और 'संगम नोज' के बीच 26 हैक्टेयर भूमि का विस्तार किया जिसमें 'संगम नोज' पर 2 हैक्टेयर भूमि को केवल 85 दिनों में 3 पालियों में चौबीसों घंटे काम करके जोड़ा गया। बयान के मुताबिक 1650 मी. क्षेत्र में बालू की बोरी लगाकर अस्थायी घाटों का निर्माण किया गया जिससे पूरे संगम क्षेत्र में एकसाथ अधिक श्रद्धालु स्नान कर पाने में सक्षम हुए।
सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (सज्जा एवं सामग्री प्रबंध) उपेन्द्र सिंह ने बताया कि अधिशासी अभियंता बैराज यांत्रिक अनुरक्षण खंड वाराणसी सुजीत कुमार सिंह व उनकी टीम द्वारा 4 बड़ी ड्रेजिंग मशीनों की सहायता से 85 दिनों में इस कार्य को संपन्न कराया गया। उन्होंने बताया कि 2019 में 'संगम नोज' की क्षमता 50 हजार श्रद्धालु प्रति घंटा स्नान की थी जबकि अब यहां 2 लाख से ज्यादा लोग प्रति घंटे स्नान कर सकते हैं। यह पहले की तुलना में 3 गुना है। इनपुट एजेंसियां Edited by: Sudhir Sharma