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ससुर के सामने बहुएं, जेठानी के सामने देवरानी, रोचक है हिसार लोकसभा सीट का मुकाबला

Hisar Lok sabha seat
Hisar Lok Sabha Seat: हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट (Lok Sabha Election 2024) पर इस बार काफी रोचक मुकाबला देखने को मिल रहा है। इस सीट पर चौटाला परिवार (पूर्व डिप्टी पीएम चौधरी देवीलाल) के तीन उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं। यहां ससुर रणजीत चौटाला भाजपा के टिकट पर खम ठोंक रहे हैं तो एक बहू नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी (JJP) के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। दूसरी बहू सुनैना चौटाला इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के उम्मीदवार के रूप किस्मत आजमा रही हैं। कांग्रेस ने अपने पूर्व सांसद जयप्रकाश पर भरोसा जताया है। इस सीट पर मुकाबला चतुष्कोणीय हो गया है। ALSO READ: मिर्जापुर में बढ़ेगी अनुप्रिया पटेल की मुश्किल, विरोध में उतरे राजा भैया
 
कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं रणजीत : हरियाणा की मनोहर लाल खट्‍टर सरकार में मंत्री रहे और कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए रणजीत चौटाला को भाजपा ने लगे हाथ लोकसभा टिकट भी दे दिया। रणजीत राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं साथ ही कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। पिछली बार 2019 के चुनाव में हिसार से भाजपा के टिकट पर पूर्व नौकरशाह बृजेन्द्र सिंह ने जजपा के मुखिया दुष्यंत चौटाला को 3 लाख 14 हजार वोटों से हराया था। अब बृजेन्द्र ने कांग्रेस का 'हाथ' थाम लिया है। दुष्यंत भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम थे, लेकिन बाद में उन्होंने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। ALSO READ: पुरी में किसको मिलेगा भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद, BJD और BJP में कड़ी टक्कर
 
परिवार की कलह सामने आई : दुष्यंत ने अपने परिवार की पार्टी आईएनएलडी से अलग होकर 2018 में जजपा के नाम से नई पार्टी का गठन किया था। हालांकि 2014 का लोकसभा चुनाव वे आईएनएलडी के टिकट पर ही जीते थे। तब उन्होंने हरियाणा जनहित कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई को 31 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद जजपा की स्थिति पहले की तुलना में कमजोर हुई है क्योंकि उसके प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह समेत कई नेताओं ने पार्टी को बाय-बाय बोल दिया। हालांकि हिसार सीट पर चौटाला परिवार के सदस्यों की उम्मीदवारी से परिवार की कलह भी खुलकर सामने आ गई है। 
 
क्या है इन उम्मीदवारों का आपसी रिश्ता : भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला स्व. चौधरी देवीलाल के बेटे हैं और इंडियन नेशनल लोकदल के सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के भाई हैं। नैना सिंह चौटाला जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला की मां हैं एवं ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय की पत्नी हैं। इस नाते वे रणजीत चौटाला की भी बहू हुईं। नैना चरखी दादरी जिले की बधरा से जजपा विधायक हैं। वे डबवाली सीट से भी विधायक रह चुकी हैं। सुनैना चौटाला चौधरी देवीलाल के दूसरे बेटे प्रताप चौटाला के बेटे रवि की पत्नी हैं। प्रताप चौटाला का कैंसर की वजह से निधन हो चुका है। ALSO READ: बठिंडा में ससुर को हराने वाले खुड्‍डियां बहू हरसिमरत कौर को दे रहे हैं कड़ी टक्कर
 
एक नहीं हो पाया परिवार : जननायक जनता पार्टी का भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद परिवार में सुलह की कोशिशें शुरू हुई थीं। तब जजपा सुप्रीमो अजय चौटाला ने कहा था कि यदि पिताजी (ओमप्रकाश चौटाला) कहेंगे तो हम फिर से एक हो सकते हैं, लेकिन इसकी पहल पिताजी को ही करनी होगी। यदि वे कहेंगे तो हम तत्काल लौटने के लिए तैयार हैं। वहीं, अजय के भाई अभय चौटाला ने भी इस बात को लेकर दुख जाहिर किया यदि हम एक होते तो हरियाणा की सत्ता हमारे पास ही होती। हालांकि यह परिवार एक नहीं हो पाया और अब सभी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में खड़े हैं। 
Hisar
3 जिलों की 9 विधानसभा सीटें : यह संसदीय सीट तीन जिलों की 9 विधानसभा सीटों में बंटा हुआ है। 9 में से 5 पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि 4 पर जजपा के। दुष्यंत चौटाला जींद जिले की उचाना कलां सीट से विधायक हैं, वहीं भिवानी जिले की बवानी खेड़ा सीट से भाजपा के बिशंबर सिंह विधायक हैं। आदमपुर, उकलाना, नारनौंद, हांसी, बरवाला, हिसार और नलवा विधानसभा सीटें हिसार जिले की हैं। विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो यहां भाजपा की स्थिति मजबूत है। इस बार हरियाणा में कांग्रेस भी टक्कर देती दिखाई दे रही है, जबकि जजपा पहले की तुलना में कमजोर हुई है। 
 
क्या लोकसभा सीट का इतिहास : हिसार की जनता किसी भी पार्टी और उम्मीदवार को लंबे समय तक प्रतिनिधित्व नहीं दिया। 1952 में यहां सबसे पहला चुनाव कांग्रेस के लाला अचिंत राम ने जीता था। कांग्रेस दूसरा चुनाव जीतने में भी सफल रही, लेकिन 1962 में यह सीट उससे छिन गई, जब संसोपा के मणिराम बागड़ी चुनाव जीते। 1967 और 71 में यहां से फिर कांग्रेस जीती, लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में यह सीट एक बार फिर उसके हाथ से निकल गई। 1980 में यहां जनता पार्टी (सेक्युलर) को विजयश्री हासिल हुई।

इस सीट पर सबसे ज्यादा बार लोकसभा जाने का रिकॉर्ड जयप्रकाश के नाम है। 1989 में वे जनता दल के टिकट पर जीते थे, 1996 में हरियाणा विकास पार्टी से चुनाव जीते, जबकि 2004 में वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते। सुरेन्द्र सिंह बरवाला आईएनएलडी के टिकट पर दो बार लोकसभा पहुंचे। जयप्रकाश को कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट से उम्मीदवार बनाया है। हो सकता है चौटाला परिवार की 'महाभारत' का फायदा कांग्रेस के जयप्रका को मिल जाए।