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Written By WD Sports Desk
Last Updated : गुरुवार, 8 अगस्त 2024 (22:47 IST)

श्रीजेश को टीम ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर हरमनप्रीत ने कंधे पर उठाकर दी विदाई

श्रीजेश को टीम ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर हरमनप्रीत ने कंधे पर उठाकर दी विदाई - Hockey India gives guard of honur to Shreejesh Skipper lifts the goalkeeper
अपना अंतिम हॉकी मैच पेरिस ओलंपिक के ब्रॉंज मेडल मैच में खेल रहे श्रीजेश को भारतीय टीम ने ना केवल गार्ड ऑफ ऑनर दिया बल्कि कप्तान हरमनप्रीत ने उनको कंधे पर भी उठा लिया। श्रीजेश ने पूरे ओलंपिक में बेहतरीन बचाव किए और ब्रॉंज मेडल मैच में 9 पेनल्टी कॉर्नर बचाए।

तोक्यो की कहानी को पेरिस ओलंपिक में दोहराते हुए भारतीय हॉकी टीम ने कप्तान हरमनप्रीत सिंह के दो गोल की मदद से स्पेन को 2 . 1 से हराकर देश के लिये और अपने सुनहरे कैरियर पर विराम लगाने वाले पी आर श्रीजेश के लिये कांस्य पदक जीता ।

जीत के बाद श्रीजेश को कंधे पर बिठाकर मैदान का चक्कर लगाने वाले कप्तान हरमनप्रीत सिंह के साथ टीवी के सामने नजरें गड़ाये बैठे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई । ओलंपिक पदक के साथ विदा लेने वाले श्रीजेश जीत के बाद गोलपोस्ट के ऊपर जाकर बैठे तो अपने जज्बात पर काबू नहीं रख सके ।
 

shreejesh

जर्मनी के हाथों सेमीफाइनल में मिली हार का गम भुलाकर डेढ दिन बाद भारतीय टीम फिर युवेस डु मनोइर स्टेडियम पर उतरी तो हर खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य था कि खाली हाथ नहीं लौटना है । एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए भारत ने दूसरे और तीसरे क्वार्टर में गोल करके न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि पेरिस ओलंपिक में कल पहलवान विनेश फोगाट को फाइनल से पहले अयोग्य करार दिये जाने से देश भर में छाई मायूसी को दूर करने का प्रयास भी किया ।

इस जीत के साथ ही भारत के लिये 336 मैच खेलने वाले महान गोलकीपर श्रीजेश ने भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कह दिया । भारतीय टीम के लिये हरमनप्रीत सिंह ने (30वें, 33वें मिनट) जबकि स्पेन के लिये मार्क मिरालेस (18वां मिनट) ने गोल दागे ।

आठ बार की चैम्पियन भारतीय पुरूष हॉकी टीम का यह 13वां ओलंपिक पदक है और पचास साल बाद लगातार दो ओलंपिक में पदक जीते हैं । इससे पहले 1968 में मैक्सिको और 1972 में म्युनिख ओलंपिक में भारत ने कांस्य जीता था ।

मेरा फैसला नहीं बदलेगा , श्रीजेश ने संन्यास पर पुनर्विचार से इनकार किया

 भारत के महान गोलकीपरों में शुमार पी आर श्रीजेश ने लगातार दूसरा ओलंपिक कांस्य पदक जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास के अपने फैसले को बदलने की संभावना से इनकार करते हुए कहा ,‘‘ यह विदा लेने का सही समय है ।’’

श्रीजेश ने स्पेन को कांस्य पदक के मुकाबले में 2 . 1 से हराने के बाद कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि ओलंपिक खेलों से विदा लेने का यह सही तरीका है, एक पदक के साथ । हम खाली हाथ घर नहीं जा रहे जो बड़ी बात है ।’’

उन्होंने मैच के बाद कहा ,‘‘मैं लोगों की भावनाओं का सम्मान करता हूं लेकिन कुछ फैसले कठिन होते हैं । सही समय पर फैसला लेने से हालात खूबसूरत हो जाते हैं । इसलिये मेरा फैसला नहीं बदलेगा ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है और इस मैच को इतना यादगार बना दिया ।’’

तोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे श्रीजेश ने कहा ,‘‘ तोक्यो में मिले पदक की मेरे दिल में खास जगह है । इससे हमें आत्मविश्वास मिला कि हम ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं ।’
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