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Last Updated : मंगलवार, 15 फ़रवरी 2022 (08:07 IST)

माघ पूर्णिमा के दिन धरती पर आते हैं देवता, शुभ संयोग में प्रसन्न करें उन्हें दान-पुण्य और मंत्र से

माघ पूर्णिमा के दिन धरती पर आते हैं देवता, शुभ संयोग में प्रसन्न करें उन्हें दान-पुण्य और मंत्र से - Magha Purnima Mantra
Magha Purnima 2022 : 16 फरवरी 2022 को है माघ पूर्णिमा। माघी पूर्णिमा के दिन संगम पर माघ-मेले में जाने और स्नान करने का विशेष महत्व है। पुराणों के अनुसार माघ माह में पूर्णिमा के दिन देवता धरती पर आते हैं और गंगा में स्नान करते हैं। इस शुभ संयोग में दान-पुण्य और मंत्र से करें उन्हें प्रसन्न।
 
 
स्नान का महत्व : ऐसी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा के दिन सभी देवता स्वर्ग से नीचे उतरकर प्रयाग स्थित गंगा में स्नान करते हैं। इसीलिए इस दिन स्नान माघ मास या माघ पूर्णिमा को संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, गोदावरी, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए क्योंकि मान्यता है इस माह में सभी नदियों का जल गंगा के समान पवित्र हो जाता है। स्नान करने से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है।
 
 
पुराणों के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन स्वयं भगवान श्री विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से विष्णु की कृपा मिलती है तथा धन-संपदा लक्ष्मी, यश, सुख-सौभाग्य तथा उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। माघी पूर्णिमा पर गंगा तथा अन्य पवित्र नदियों तथा सरोवर तट पर स्नान करके तिलांजलि देना चाहिए तथा पितृ तर्पण करना चाहिए।
 
2. दान का महत्व : इस दिन दान-दक्षिणा का बत्तीस गुना फल मिलता है। इसलिए इसे माघी पूर्णिमा के अलावा बत्तिसी पूर्णिमा भी कहते हैं। दान करने से सभी तरह के संकट मिट जाते हैं और जातक मोक्ष को प्राप्त करता है।
3. माघ पूर्णिमा का मंत्र ( Maghi Purnima ke Mantra ) :  पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे घर में धन समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इस दिन देवी लक्ष्मी जी को पीले तथा लाल रंग सामग्री अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं। 
 
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।'
- ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
- ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये, धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।।'
 
- ॐ विष्णवे नम:। ॐ हूं विष्णवे नम:। ॐ नमो नारायण। ॐ वासुदेवाय नम:।
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
 
- ॐ शिवाय नम:।
- ॐ सों सोमाय नम:।
- ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:।
- ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
 
- स्नान मंत्र :
ॐ गङ्गे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु।।
 
श्लोकार्थ : गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा माँ, सिंधु और माँ कावेरी। आप सभी तीर्थ मेरे पानी में आइए में आपका आवाहन करता हूं। मेरे इस पानी को पवित्र जल बनाओ ताकि में इसमें स्नान कर अपने सभी पापों का विनाश कर सकूं।
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