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Last Updated : गुरुवार, 20 मई 2021 (18:16 IST)

कूर्म अवतार जयंती 2021 : जानिए भगवान कूर्म की कथा

कूर्म अवतार जयंती 2021 : जानिए भगवान कूर्म की कथा - Kurma Avatar Jayanti 2021
भगवान विष्णु के 10 अवतारों के क्रम में भगवान कूर्म को द्वितीय अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु ने कछुए का अवतार लेकर समुद्र मंथन में सहायता की थी। भगवान विष्णु के इस कूर्म अवतार को  कच्छप अवतार भी कहते हैं। वैशाख माह की पूर्णिमा को कूर्म जयंती मनाई जाती है। अंग्रेंजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह जयंती 26 मई 2021 बुधवार को मनाई जाएगी।
 
 
पौराणिक कथा : दुर्वासा ऋषि ने अपना अपमान होने के कारण देवराज इन्द्र को ‘श्री’ (लक्ष्मी) से हीन हो जाने का शाप दे दिया। भगवान विष्णु ने इंद्र को शाप मुक्ति के लिए असुरों के साथ 'समुद्र मंथन' के लिए कहा और दैत्यों को अमृत का लालच दिया। तब देवों और अनुसरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया।
 
समुद्र मंथन के लिए उन्होंने मदरांचल पर्वत को मथानी एवं नागराज वासुकि को नेती बनाया गया। परंतु नीचे कोई आधार नहीं होने के कारण पर्वत समुद्र में डूबने लगा। यह देखकर भगवान विष्णु विशाल कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर समुद्र में मंदराचल के आधार बन गए।
 
भगवान कूर्म की विशाल पीठ पर मंदराचल तेजी से घूमने लगा और इस प्रकार समुद्र मंथन संपन्न हुआ। समुद्र मंथन करने से एक एक करके रत्न निकलने लगे। कुल 14 रत्न निकले और अंत में निकला अमृत कुंभ। 
 
देवताओं और दैत्यों के बीच अमृत बंटवारे को लेकर जब झगड़ा हो रहा था तथा देवराज इंद्र के संकेत पर उनका पुत्र जयंत जब अमृत कुंभ लेकर भागने की चेष्टा कर रहा था, तब कुछ दानवों ने उसका पीछा किया और सभी आपस में झगड़ने लगे। झगड़े को सुलझाने के लिए कच्‍छप अवतार के बाद ही श्रीहरि विष्णु को मोहिनी का रूप धारण करना पड़ा। सभी अनुसार मोहिनी के बहकावे में आ गए और अमृत कलश उसके हाथों में सौंप कर उसे ही बटवारा करने की जिम्मेदारी सौंप दी। 
 
मोहिनी के पास एक दूसरा कलश भी था जिसमें पानी था। कलश बदल-बदल कर वह देव और असुरों को जल पिलाती रहती हैं। फिर कुछ देव भी अमृत पीने के बाद नृत्य करने लगते हैं। तभी एक असुर मोहिनी के इस छल को देख लेता है। तब वह चुपचाप वेश देवता का धारण करके देवताओं की पंक्ति में बैठ जाता है। उस असुर का यह छल चंद्रदेव देख लेते हैं।
 
मोहिनी उसे अमृत पिलाने लगती है तभी वह देवता कहते हैं मोहिनी ये तो दानव है। तभी मोहिनी बने भगवान विष्णु अपने असली रूप में प्रकट होकर अपने सुदर्शन चक्र से उस दानव की गर्दन काट देते हैं और फिर वे वहां से अदृश्य हो जाते हैं। जिसकी गर्दन काटी थी वह राहु था।
 
भगवान विष्णु के ये 6 अवतार मनुष्‍य रूप नहीं थे : मत्स्य, कच्छप, वराह, नृसिंह, हयग्रीव और हंस।