sawan somwar 2025: सावन सोमवार का व्रत पूरे माह रखें या कि सिर्फ सोमवार को?
जिस तरह गुड फ्राइडे के पहले ईसाइयों में 40 दिन के उपवास चलते हैं और जिस तरह इस्लाम में रमजान माह में रोजे (उपवास) रखे जाते हैं, उसी तरह हिन्दू धर्म में श्रावण मास को पवित्र और व्रत रखने वाला माह माना गया है। सिर्फ सोमवार ही नहीं, पूरे श्रावण माह में निराहारी या फलाहारी रहने से बहुत लाभ मिलता है।। इस माह में शास्त्र अनुसार ही व्रतों का पालन करना चाहिए। मन से या मनमानों व्रतों से दूर रहना चाहिए।
श्रावण सोमवार या पूरा मास: श्रावण माह को कालांतर में 'श्रावण सोमवार' कहने लगे, इससे यह समझा जाने लगा कि श्रावण माह में सिर्फ सोमवार को ही व्रत रखना चाहिए जबकि श्रावण माह से चातुर्मास की शुरुआत होती है। इस पूरे माह ही व्रत रखने का प्रचलन है। लेकिन जो लोग व्रत नहीं रख सकते, वे कम से कम सोमवार को तो रख ही सकते हैं, क्योंकि श्रावण के सोमवार महत्वपूर्ण होते हैं।
वैसे संपूर्ण सावन का माह पवित्र माना गया है। इस माह से व्रत रखने के दिन शुरू होते हैं, जो 4 माह तक चलते हैं। जो व्यक्ति चातुर्मास में खानपान का अच्छे से ध्यान रखकर चातुर्मास का पालन कर लेता है, उसके जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता है।
श्रावण व्रत: व्रत से जीवन में किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं रहता। व्रत से ही मोक्ष प्राप्त किया जाता है। श्रावण माह को व्रत के लिए नियुक्त किया गया है। श्रावण मास में उपाकर्म व्रत का महत्व ज्यादा है, इसे 'श्रावणी' भी कहते हैं।
श्रावण मास से हिन्दुओं के व्रतों के 4 माह अर्थात चतुर्मास की शुरुआत होती है। श्रावण माह में व्रत रखना जरूरी है। यह हिन्दुओं का सबसे पवित्र माह है। इस माह में प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है कि वह व्रत रखे और नियमों का पालन करें। यदि वह ऐसा नहीं करता है तो वह जीवन में संकटों से घिरा रहेगा और यह भी माना जाएगा कि उसे हिन्दू धर्म की परवाह ही नहीं। यदि वह गंभीर रोग से ग्रस्त है, कमजोर है या किसी विशेष यात्रा पर है, तब ऐसे में व्रत नहीं रखना क्षमायोग्य है।