शनिवार से गुप्त नवरात्रि की शुरू हो गई है। गुप्त नवरात्रि 25 जनवरी से शुरू होकर 3 फरवरी 2020, सोमवार तक जारी रहेगी। इस बार गुप्त नवरात्रि विशेष सिद्धि योग में आ रही है, अत: गृहस्थ साधकों के लिए यह अवसर बहुत खास रहेगा। उन लोगों को सिद्धि प्राप्त करना आसान होगा, जो इस नवरात्रि में करना चाहते है।
ज्ञात हो कि वर्ष में आदि शक्ति मां भगवती की उपासना के लिए चार नवरात्रि आती है। इसमें दो गुप्त एवं दो उदय नवरात्रि होती हैं। चैत्र और अश्विन मास की नवरात्रि उदय नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। आषाढ़ और माघ की नवरात्रि गुप्त नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। यह गुप्त नवरात्रि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और आसपास के इलाकों में खास तौर पर मनाई जाती है।
मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान अन्य नवरात्रि की तरह ही पूजन करने का विधान है। इन दिनों भी 9 दिन के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिपदा से नवमीं तक प्रतिदिन सुबह-शाम मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए।
इस वर्ष शनिवार से माघ मास की गुप्त नवरात्रि प्रारंभ होकर, 3 फरवरी 2020, सोमवार को समाप्ति होगी तथा पारण 4 फरवरी को होगा। गुप्त नवरात्रि हमेशा माघ और आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में ही मनाई जाती हैं। इन नवरात्रि में 10 महाविद्याओं का पूजन होता है। ये नवरात्रि तंत्र साधना के लिए बहुत अधिक महत्व की मानी गई हैं।
गुप्त नवरात्रि क्या है- गुप्त नवरात्रि किसी खास मनोकामना की पूजा के लिए तंत्र साधना का मार्ग लेने का पर्व है। किंतु अन्य नवरात्रि की तरह ही इसमें भी व्रत-पूजा, पाठ, उपवास किया जाता है। इस दौरान साधक देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के अनेक उपाय करते हैं। इसमें दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा चालीसा, दुर्गा सहस्त्रनाम का पाठ काफी लाभदायी माना गया है। यह नवरात्रि धन, संतान सुख के साथ-साथ शत्रु से मुक्ति दिलाने में भी कारगर है।
गुप्त नवरात्रि की देवियां- मां काली, तारादेवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्न माता, त्रिपुर भैरवी मां, धुमावती माता, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी इन 10 देवियों का पूजन करते हैं।
गुप्त नवरात्रि का महत्व- देवी भागवत पुराण के अनुसार जिस तरह वर्ष में 4 बार नवरात्रि आती है और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के 9 रूपों की पूजा होती है, ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेष कर तांत्रिक कियाएं, शक्ति साधनाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं।
इस दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या-पूजन के साथ नवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहिए।