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हास्य-कविता : कारवां गुजर गया

शनिवार,फ़रवरी 18, 2023
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जनता पूछती सरकार से, सरकार पूछती जनता से, विपक्ष पूछता सत्ता से, कहता सरकारी फ़ैसले ग़लत, जनता का फ़ैसला भी ग़लत, देश किससे पूछे यह सवाल, यह कैसा देशप्रेम है तुम्हारा,देश पूछ रहा है....... नेता खींचा-तानी में व्यस्त हैं, आतंकवाद ने कमर तोड़ दी, युद्धों ...
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कविता : एक कंपन सी हो जाती है, एक लहरी सी उठ जाती है, जब-जब देखूं मां भारती तेरी तस्वीर, हृदय वीणा झंकृत सी हो जाती है, उठा है तूफान जहां में तेरे प्रेम या भक्ति का, या जब-जब करूं मातृभूमि माई भक्ति तेरी एक खुमारी सी मन में छा जाती है...
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आ री सखी ! तू क्यों उदास है किस बात का ग़म है, क्या हम-तुम किसी से कम हैं जीवन में सर्दी से घबरा रही है, देख सखी री, महसूस कर महकती ऋतुएं आती-जाती, शीत की सिरहन क्या सिखलाती, समर्पण पत्तियों का, रंग बदलता, ख़ामोशी से विदा होकर, नए जीवन को जीवन दान ...
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प्यासी थी धरती और प्यासा अंबर, पीली धूप में, पीली धरती पीला अंबर हमदम, हमसफ़र ऋतु की सखी पत्तियां, करें काम दिन-रात, न ग़म, न लें दम, कैलिफोर्निया का दिल नमी को रोता, देख समर्पण पत्तियों का ऋतु फ़िदा है चुराकर रंग धूप से ओढ़ाया पत्तियों को, लाल, पिली, ...
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3 Laghu kathayen Hindi Me : जिस घर में बड़े-बुजुर्ग होते हैं, उस घर की खुशहाली अलग ही होती है। लेकिन जिन घरों में बड़ों की उपेक्षा की जाती हैं, वहां का माहौल ठीक नहीं रहता है, यहां पढ़ें बुजुर्गों की व्यथा पर तीन मर्मस्पर्शी लघु कथाएं-bujurgon kee ...
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जैसे लहरें बातें करते आईं हैं किनारों से आज तक, दिवा स्वप्न था बैठे थे पास पास और मूंदी (बंद) आंखों से, सपने संजोने लग गए हम जनम-जनम के साथ के, साथ न छूटेगा अपना और हम रहेंगे बन के आपके, झकझोर दी किसी आहट ने सपनो की वो दुनिया, टूटा सपना, जगे अचानक ...
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फैला बादल दल, गगन पर मस्ताना, सूखी धरती भीगकर मुस्काई। मटमैले पैरों से हल जोत रहा, कृषक थका गाता पर उमंग भरा। 'मेघा बरसे, मोरा जियरा तरसे, आंगन देवा, घी का दीप जला जा।' रुनझुन-रुनझुन बैलों की जोड़ी, जिनके संग-संग सावन गरजे। पवन चलाए बाण, बिजुरिया ...
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सनन-सनन हवा से तुम, भूमि पर अडिग मैं, कलकल बहते पानी तुम किनारे से जुड़ी मैं, चंद्र कभी-कभी सूर्य तुम, आकाश सी स्थायी मैं मौसम से बदलते तुम, वृक्ष सी खड़ी मैं, कल्पना से तरल तुम, सत्य सी अटल मैं
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Rain Poems पावस ऋतु नारी, नर सावन, रस रिमझिम संगीत सुहावन, सारस के जोड़े सरवर में, सुनते रहते बादल राग…सत रंग चूनर नव रंग पाग। उपवन-उपवन कांत कामिनी गगन गुंजाए मेघ दामिनी... पत्ते-पत्ते पर हरियाली, फूल-फूल पर प्रेम पराग… सत रंग चूनर नव रंग पाग। पवन ...
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वो सपने सुनहरे भविष्य के हमने, किस आस पर किस सहारे पे देखे। वो शक्ति वो प्रेरणा आपकी थी, एक हारे हुए मन का बल आपसे था। ओ कान्हा! जब-जब मानव मन हारा, तब-तब तुमने भरा जोश व दिया सहारा।
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क्या भारत मेरा देश नहीं है? क्या मैं भारत का लाल नहीं हूं? क्यों तन पर चिथड़े हैं मेरे? क्यों मन मेरा रीता उदास है? क्यों ईश्वर मुझसे छिपा हुआ है? क्यों जीवन बोझ बना हुआ है? Desh Bhakti Kavita in Hindi
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Poem on 15 August कहते थे बरसों पहले तुम हैं हिन्दी-चीनी भाई-भाई, फिर सीमा पर चुपके-चुपके किसने थी आग लगाई। फेंगशुई का बहाना करके क्यों अंधविश्वास फैलाया, नकली और घटिया चीजों का भारत में जाल बिछाया। लड़ियां, घड़ियां और पटाखे, टीवी व एसी दे गए, सस्ती ...
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यह अनमोल जिंदगी, इसकी अपनी पहचान है, जब इसने जन्म लिया, पतन हुआ गुलामी का, यह एक गर्वित एहसास है आजादी का, इसका अपना ठोस अस्तित्व है संसार में, यह जिंदगी सफल है, बिंदास मुस्कुराती है, चाय संग आलस में पांव पसार सुस्ताती है...
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Poem on Bharat Maa सीता-सा आह्वान कर, तुम्हारी छवि मन में उतारूं, मेरे विश्वास का तिनका जिसे थाम मैं प्रार्थना करती, किसी दिन जब भाग्य में होगा, दाना-पानी तेरे आंगन में, मैं लौट, लौटा लाऊंगी बचपन कि यह दो तरफा जिंदगी, अब जी नहीं जाती !
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फ्रेंडशिप डे पर कविता : कड़कती धूप में गन्ने का रस जैसे, सर्दियों में चाय की गरम सेंक जैसे, जैसे रसमलाई नरम जैसे पकौड़े करारे है दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं, दोस्त मेरे बड़े प्यारे हैं, दनदनाती बारिश में छाते की तरह, उबड़-खाबड़ रास्तों में जूतों की ...
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एक दीवाना था, सनसनाती बिजलियों को मस्ती में छेड़ा था, तूफानों की बांहों को कस के मरोड़ा था, तमतमाते शोलों को हाथों में सजाया था मंजिल की लौ छूने वो परवाने सा मचला था,
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मेरी भारत माता याद तो बहुत आती है, आंखें भी भर जाती हैं, दूर हूं तुझसे इतनी कि तेरी, सीमा भी नजर न आती है, तू तो रही है सदा से आरजू मेरी, मेरी भारत माता, तू तो बसी है मेरे मन में पर क्या करूं यहां से तुझे न देखा जाता...
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रह रह कर मन उदास हो उठता है, एक अंधेरे कोने में सिमटने लगता है हजार दुख छिपाकर एक खुशी मनाएं कैसे, मां ठीक है लेकिन मामा चले गए
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एक सुबह सुहानी खिल आई इठलाती, नभ ललचाए आ बैठे सुबह की गोद में, धूप देख शरमा पड़ी, सूरज हो गया रुआंसा, गगन की मादकता से धरा को मिली राहत
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