• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. लोकसभा चुनाव 2014
  3. समाचार
Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (17:19 IST)

कश्मीर में तूफान आने से पहले की शांति

कश्मीर में तूफान आने से पहले की शांति -
FILE
दो चरणों के सफलतापूर्वक मतदान के उपरांत आतंकवादियों के खेमे में जो निराशा छाई हुई है उसे आने वाले तूफान के पहले की शांति के रूप में लिया जा रहा है। अधिकारियों ने आशंका प्रकट की है कि आतंकवादी अपनी खुन्नस मिटाने की खातिर निर्दोष लोगों को अब मौत के घाट उतार सकते हैं।

विशेषकर उन इलाकों में जहां उन्होंने मतदान करने के विरुद्ध लोगों को धमकाया गया था। यही नहीं रक्षाधिकारियों के मुताबिक, पहले दो चरणों के मतदान के दौरान अधिक कुछ नहीं कर पाने के कारण आतंकियों को जो पाकिस्तान से फटकार पड़ी है उसी के चलते वे अब नेताओं को मौत के घाट उतार सकते हैं।

दो चरणों के मतदान के खत्म होने के बाद से अभी तक किसी बड़ी आतंकी घटना की कोई खबर नहीं है। न ही कोई ऐसी सूचना है कि आतंकवादियों ने उन क्षेत्रों में नागरिकों या सुरक्षाबलों को कोई क्षति पहुंचाने का प्रयास किया हो, जहां 10 और 17 अप्रैल को मतदान हुआ था।

ऐसा भी नहीं है कि शांति लौट आई हो बल्कि अधिकारी इसे सबसे बुरी स्थिति निरूपित करते हुए कहते हैं कि 'यह तूफान के आने से पहले की शांति है। आतंकवादी किसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने की तैयारियों में अवश्य होंगें’, सेना की उत्तरी कमान में तैनात एक सेनाधिकारी का कहना था, जो आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन कर रहा था। उसकी आशंकाएं पूर्व के अनुभवों पर आधारित हैं।

वर्ष 1996 से लेकर अभी तक होने वाले चुनावों के बाद की स्थिति का आकलन ही उसकी शंका का आधार है। पहले भी ऐसा होता रहा है कि आतंकवादियों ने या तो मतदान के पूर्व और फिर बाद में अपनी गतिविधियों को तेज किया था। हालांकि मतदान के बाद तो जितनी भी सामूहिक हत्याएं की गई उन्हें ‘मतदान में भाग लेने की सजा’ का नाम उनके द्वारा दिया गया था।

अधिकारी मानते हैं कि आतंकवादी खुन्नस में हैं। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि लोगों ने उनके निर्देशों की धज्जियां उड़ाई हैं और आतंकवादी धमकी और कहर के बावजूद उन्होंने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।

आखिर हम वोट डालने से वंचित क्यों रहें, अगले पन्ने पर...


‘आखिर हम वोट डालने से वंचित क्यों रहें,’ डोडा के एक मतदान केंद्र पर अब्दुल हमीद ने ये शब्द 17 अप्रैल को उस समय इस संवाददाता से कहे थे जब यह संवाददाता मतदान प्रक्रिया को देखने की खातिर वहां गया था।

अब जबकि मतदान की कामयाबी का सेहरा सुरक्षाबलों के माथे पर मतदाताओं द्वारा बांधा जा चुका है, सुरक्षाबल अब उन्हें छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मतदान सुरक्षाबलों की व्यापक तैनाती और उनके अथक प्रयासों का परिणाम था लेकिन अब सुरक्षाबल उन क्षेत्रों से हटने आरंभ हो गए हैं, जहां मतदान हो चुका है।

यही चिंता का विषय है लोगों तथा नागरिक प्रशासन का। प्रशासन मजबूर है, क्योंकि सुरक्षाबलों की आवश्यकता अब दूसरे चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में है तो नागरिकों की आंखों में दहशत को स्पष्ट देखा जा सकता है, जो अब इस चिंता से ग्रस्त हैं कि तूफान कितने जोर से कहर बरपाएगा।

यह बात अलग है कि आतंकवादियों ने कहर बरपाने की घोषणा भी कर दी है। सूत्रों के मुताबिक आतंकवादी नागरिकों को दहशतजदा करने की खातिर उनके नेताओं की हत्याएं कर सकते हैं। इसकी पुष्टि आधिकारिक तौर पर की गई है कि हिज्बुल मुजाहिदीन ने कश्मीर के नेताओं की हत्या पर लाखों रुपयों का इनाम घोषित किया है।

'यह सब मतदाताओं को डराने की चाल है। वे जानते हैं कि उनकी धमकी काम नहीं करेगी और वे मतदान को प्रभावित करने की खातिर या तो अब नेताओं की हत्या कर सकते हैं या फिर कश्मीर में बाकी चरणों के मतदान में कहर बरपा सकते हैं’, चुनाव का जिम्मा उठाने वाले सुरक्षाधिकारी का मत था।