हिम्मतनगर (गुजरात)। भाजपा से साबरकांठा सीट को छीनने की कोशिशों के तहत कांग्रेस अपने शीर्ष क्षेत्रीय नेता शंकर सिंह वाघेला की ताकत के सहारे 5 विधायकों के समर्थन के अतिरिक्त राजूपतों, ठाकुरों और अन्य पिछड़ा वर्ग सहित अपने वफादार वोट बैंक पर निर्भर दिखाई देती है।
वाघेला हालांकि पंचमहल सीट से 2009 का लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन 2012 में कपाडवंज से विधानसभा चुनाव जीतकर उन्होंने फिर से वापसी की। बताया जाता है कि वाघेला ने खुद ही साबरकांठा सीट को चुना है, क्योंकि इसे अब भी कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है।
साबरकांठा आदिवासियों, राजपूतों, ठाकुरों और अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों के वोट के चलते कांग्रेस का गढ़ रहा है। इसी वजह से कांग्रेस 2012 के विधानसभा चुनाव में क्षेत्र की 7 में से 6 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही थी।
हालांकि इन विधायकों में से एक हाल ही में भाजपा के पाले में चला गया जिससे उनकी संख्या घटकर 5 रह गई।
इसके अतिरिक्त सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में शंकरसिंह वाघेला के प्रवेश से बहुत से लोग मुकाबले को एकतरफा मान रहे हैं, क्योंकि भाजपा उम्मीदवार दीपसिंह राठौड़ को पार्टी के लोग जरूरत से ज्यादा सीधा-सादा मानते हैं, जो वाघेला की कद्दावर छवि के सामने कहीं नहीं ठहरते।
‘मोदी लहर’ का फायदा और वाघेला की मुसिबत...
हालांकि राठौड़ को ‘मोदी लहर’ का फायदा मिल रहा है जिसके चलते वाघेला को वोटों के लिए गर्मी में खूब पसीना बहाना पड़ रहा है।
प्रांतिज-हिम्मतनगर राजमार्ग पर पड़ने वाले कांतवाड़ गांव के लोगों के अनुसार साबरकांठा में कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं है। चाय विक्रेता मंगलसिंह ठाकुर ने कहा कि सड़कों का जैसा विकास आप देख रहे हैं, वह भाजपा की वजह से है। 12 से 15 साल पहले ऐसा नहीं था। इस गांव के पीछे स्थित चीनी मिट्टी और स्टील कारखाने बहुत से ग्रामीण युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।
साबरकांठा में कांग्रेस के लिए कोई उम्मीद नहीं है, चाहे उसकी ओर से कोई भी उम्मीदवार क्यों न हो। इस बार सब कुछ नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए है। साबरकांठा सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में भाजपा सांसद महेंद्र सिंह चौहान करते हैं।
उन्होंने मधुसूदन मिस्त्री को 21,000 वोटों के मामूली अंतराल से हराया था, क्योंकि चौहान ने दोबारा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया इसलिए भाजपा ने दीपसिंह राठौड़ को टिकट दे दिया।
कांग्रेस के रंजीत सिंह ढिल्लो ने कहा कि साबरकांठा कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट है, खासकर तब जब यहां से वाघेला जैसा नेता चुनाव लड़ रहा हो।
जब आप गांवों और आदिवासी क्षेत्रों में जाते हैं तो आपको कहीं ‘मोदी लहर’ दिखाई नहीं देगी। भीड़ खींचने वाली क्षमता रखने वाले वाघेला स्पष्ट विजेता हैं। (भाषा)