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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 (12:32 IST)

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन का भोग क्या है?

शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन का भोग क्या है? - Navratri 7th day Maa Kalratri Bhog
Highligts 
  • माता कालरात्रि को कौन सा रंग पसंद है। 
  • कालरात्रि मां को क्या नैवेद्य चढ़ाया जाता है। 
  • शारदीय नवरात्रि की शक्ति का नाम क्या है। 
 
Maa Kalratri : शारदीय नवरात्रि की देवी कालरात्रि मां दुर्गा का सप्तम रूप है। यह मां दुर्गा की सातवीं शक्ति, जिसका पूजन नवरात्रि के सात‍वें दिन किया जाता है।  जिन्हें कालरात्रि के नाम से सर्वत्र जाना जाता है। उनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। भले ही इनका रूप भयंकर है, लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली माता हैं। अत: इस कालरात्रि की आराधना प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को करना चाहिए। नवरात्रि के सातवें दिन नीला रंग पहनना शुभ माना जाता है। साथ ही इनका प्रिय फूल कृष्ण-कमल है। माता को फल में चीकू पसंद है।
 
आइए यहां जान‍ते हैं नवरात्र के सातवें दिन का भोग क्या है : 
 
नवरात्र के सातवें दिन चढ़ाएं यह प्रसाद : शारदीय नवरात्रि में देवी के सातवें स्वरूप कालरात्रि माता का प्रिय भोग गुड़ है। इस माता को 7वीं नवरात्रि पर गुड़ का नैवेद्य चढ़ाकर उसे ब्राह्मण को दान देने से रोग-शोक से मुक्ति मिलती है तथा जीवन में आने वाले आकस्मिक संकटों से भी मनुष्य की रक्षा होती है। अत: इस दिन गुड़ का भोग लगाकर ब्राह्मण को अवश्य दान करें। इस दिन देवी को गुड़ का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में खाना भी सेहत के लिए फायदेमंद है। इन्हें नैवेद्य में गुड़ या गुड़ की बनी मीठी चीजों का भोग लगाया जाता है, जिससे व्यक्ति हर तरह के रोगों से बचा रहता है।
 
नवरात्र के सातवें देवी की औषधि क्या है : नवरात्रि की सातवीं देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती है। नागदौन का पौधा जो कि ग्वारपाठे के समान होता हैं, यह समस्त सुख देने वाला तथा सभी तरह के विष नाशक की औषधि है। इस ग्वारपाठे के पत्ते चिकने, मोटे व दोनों धारों में कांटेयुक्त दिखाई देता है, तो नागदौन के पत्ते आकार में पतले, सूखे और तलवार के जैसे दोनों ओर से धार वाले होने के साथ-साथ बीच में से मुड़े हुए होते हैं। इस पौधे को यदि कोई अपने घर में लगा लें, तो उस घर के सारे कष्ट दूर हो जाने की भी मान्यता है। अत: यह देवी सभी प्रकार के रोगों की नाशक, सर्वत्र विजय दिलाने वाली तथा मन-मस्तिष्क के समस्त विकारों को दूर करने वाली औषधि मानी गई है। 
 
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