मंगलवार, 8 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. शारदीय नवरात्रि
  4. Lalita devi temple shakti peeth prayagraj uttar pradesh

51 Shaktipeeth : ललिता देवी मंदिर प्रयागराज उत्तर प्रदेश शक्तिपीठ-19

lalita devi mandir prayagraj uttal pradesh
देवी भागवत पुराण में 108, कालिकापुराण में 26, शिवचरित्र में 51, दुर्गा शप्तसती और तंत्रचूड़ामणि में शक्ति पीठों की संख्या 52 बताई गई है। साधारत: 51 शक्ति पीठ माने जाते हैं। तंत्रचूड़ामणि में लगभग 52 शक्ति पीठों के बारे में बताया गया है। प्रस्तुत है माता सती के शक्तिपीठों में इस बार ललिता देवी मंदिर प्रयागराज, उत्तर प्रदेश शक्तिपीठ के बारे में जानकारी।
 
 
कैसे बने ये शक्तिपीठ : जब महादेव शिवजी की पत्नी सती अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाई तो उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गई। शिवजी जो जब यह पता चला तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को भेजकर यज्ञ स्थल को उजाड़ दिया और राजा दक्ष का सिर काट दिया। बाद में शिवजी अपनी पत्नी सती की जली हुई लाश लेकर विलाप करते हुए सभी ओर घूमते रहे। जहां-जहां माता के अंग और आभूषण गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ निर्मित हो गए। हालांकि पौराणिक आख्यायिका के अनुसार देवी देह के अंगों से इनकी उत्पत्ति हुई, जो भगवान विष्णु के चक्र से विच्छिन्न होकर 108 स्थलों पर गिरे थे, जिनमें में 51 का खास महत्व है।
 
प्रयाग शक्तिपीठ : भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश के प्रयागराज (इलाहबाद) के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी। इसकी शक्ति है ललिता और भैरव को भव कहते हैं। प्रयागराज में तीन मंदिरों को शक्तिपीठ माना जाता है और तीनों ही मंदिर प्रयाग शक्तिपीठ की शक्ति 'ललिता' के हैं। माना जाता है कि माता की अंगुलियां 'अक्षयवट', 'मीरापुर' और 'अलोपी' स्थानों पर गिरी थीं। अक्षयवट किले में 'कल्याणी-ललिता देवी मंदिर' के समीप ही 'ललितेश्वर महादेव' का भी मंदिर है। मत्स्यपुराण में वर्णित 108 शक्तिपीठों में यहां की देवी का नाम 'ललिता' दिया गया है।
ये भी पढ़ें
51 Shaktipeeth : यशोर- यशोरेश्वरी बांग्लादेश शक्तिपीठ-14