Goddess Durga puja vidhi: आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, जो कि जून या जुलाई के दौरान आषाढ़ माह में आती है। और इन दिनों आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि चल रही है और इस नवरात्रि में पड़ने वाली मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 03 जुलाई 2025, दिन गुरुवार को पड़ रहा है। नवरात्रि नौ दिनों की अवधि है जो शक्ति अथवा देवी मां के नौ रूपों को समर्पित है। आइए जानते हैं यहां इस बार की नवरात्रि में दुर्गा अष्टमी पूजन के मुहूर्त कब है और दुर्गा पूजा की विधि क्या है...
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मासिक दुर्गाष्टमी जुलाई 2025 तिथि और मुहूर्त:
आषाढ़ शुक्ल अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 जुलाई 2025, बुधवार, सुबह 11 बजकर 58 मिनट से
अष्टमी तिथि का समापन: 3 जुलाई 2025, गुरुवार, दोपहर 02 बजकर 06 मिनट पर
उदया तिथि के अनुसार व्रत: मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत 3 जुलाई 2025, गुरुवार को रखा जाएगा।
यहां जानें मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि:
1. सुबह स्नान और संकल्प अर्थात् सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र यदि लाल रंग के हो सके तो सबसे शुभ, इसे धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2. यदि संभव हो तो कलश स्थापना करें या एक साफ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। एक कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। कलश को चौकी पर स्थापित करें।
3. फिर मां दुर्गा का पूजन करें, दीपक और धूप जलाएं। 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करते हुए देवी दुर्गा का आवाहन करें। मां दुर्गा को लाल चुनरी, सिंदूर, अक्षत (चावल), हल्दी, चंदन और लाल फूल अर्पित करें। उन्हें सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। फिर फल और मिठाई का भोग लगाएं।
4. मंत्र जाप और पाठ करें। इस दिन दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा या देवी महात्म्य का पाठ करें। तथा मां दुर्गा के अतिरिक्त मंत्र 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' का जाप करें।
5. यदि संभव हो तो हवन सामग्री सहित हवन करें और देवी के लिए समर्पित मंत्रों का जाप करते हुए आहुतियां दें। फिर पूजा के अंत में मां दुर्गा की आरती करें। आरती के पश्चात भोग में चढ़ाए गए प्रसाद को परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों में वितरित करें।
6. यदि संभव हो तो इस दिन आप 9 कन्याओं और 1 बालक को भोजन कराएं। उन्हें वस्त्र, फल, मिठाई और दक्षिणा देकर सम्मानित करें।
7. जो भक्त व्रत रखते हैं, वे शाम को पूजा और आरती के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं। फलाहार या सात्विक भोजन जैसे हलवा, पूड़ी, चना और खीर का सेवन करके व्रत खोलें। इन विधियों का पालन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
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