गुप्त नवरात्रि की नवमी का क्या है महत्व, इस दिन क्या करते हैं?
वर्ष में दो गुप्त नवरात्रियां होती हैं। एक माघ माह में और दूसरी आषाढ़ माह में। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष एकम से नवमी तक गुप्त नवरात्रि का खास महत्व है। इस बार गुप्त नवरात्रि 26 जून 2025 से प्रारंभ हुई थी। 3 जुलाई को अष्टमी रहेगी और 4 जुलाई को नवमी रहेगी। गुप्त नवरात्रि विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।
वैसे तो इन नवरात्रि में भी उन्हीं नौ माताओं की पूजा और आराधना होती है लेकिन यदि कोई अघोर साधान करना चाहे तो दस महाविद्या में से किसी एक की साधना करता है जो गुप्त नावरात्रि में सफल होती है। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि की नवमी को कहते हैं भड़ली नवमी:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भड़ली नवमी को अक्षय तृतीया के समान ही महत्व वाला दिन माना गया है, अत: यह दिन अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आता है तथा शुभ मांगलिक कार्य, विवाह बंधन के लिए यह दिन खास मायने रखता है। हालांकि इस बार गुरु अस्त हैं तो मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
नवमी के दिन क्या करें:
-
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना करने से नवरात्रि के 9 दिनों की उपासना का फल मिलता है।
-
नवमी के दिन माता मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
-
सुबह जल्द उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
-
देवी पूजन की सभी सामग्री को एकत्रित करें। पूजा की थाल सजाएं।
-
मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में सजाएं।
-
यदि घट स्थापना की है तो जवारे और कलश की पूजा करें
-
फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ माता की पंचोपचार पूजा करें।
-
पूजन के आरती करके भोग लगाएं और उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
-
नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
-
अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
-
गुप्त नवरात्रि अंतिम दिन दुर्गा पूजा के बाद घट विसर्जन करें।
-
मां की आरती गाएं, उन्हें फूल, अक्षत चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।
-
इस तरह नवरात्रि के पूरे दिनों में मां की आराधना करें।