Gupt Navratri 2025 : गुप्त नवरात्रि के दौरान, मां दुर्गा के दस महाविद्या रूपों की पूजा की जाती है, जिनमें से एक त्रिपुर भैरवी भी हैं। मां त्रिपुर भैरवी की पूजा का विशेष महत्व है, खासकर तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के साधकों के लिए यह नवरात्रि बहुत फलदायी मानी गई है। आइए यहां जानते हैं मां त्रिपुर भैरवी का स्वरूप, पूजा विधि, कथा और महत्व...
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कैसा है मां त्रिपुर भैरवी का स्वरूप: मां त्रिपुर भैरवी का स्वरूप अत्यंत उग्र और भयानक है। वे चतुर्भुजी हैं और उनके हाथों में त्रिशूल, खप्पर, तलवार और कटा हुआ मस्तक होता है। वे लाल वस्त्र धारण करती हैं और उनके गले में मुंडमाला होती है।
मां त्रिपुर भैरवी की पूजा का महत्व: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर शक्ति और तेजस्विता का विकास होता है। उनकी कृपा से व्यक्ति के सभी भय दूर होते हैं और वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है। यह पूजा तंत्र-मंत्र और गुप्त सिद्धियों के साधकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
गुप्त नवरात्रि में कैसे करें त्रिपुर भैरवी का पूजन, पढ़ें विधि:
1. गुप्त नवरात्रि में त्रिपुर भैरवी पूजन के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. मां त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर स्थापित करें।
3. उन्हें लाल फूल, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
4.'ह स: हसकरी हसे।' या 'ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा:' मंत्र का जाप करें।
5. मां त्रिपुर भैरवी की कथा पढ़ें या सुनें।
6. अंत में आरती करें और मां से अपनी मनोकामना बोलते हुए उसे पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
मां त्रिपुर भैरवी की कथा: देवी कथा : नारद-पांचरात्र (पाञ्चरात्र) से प्राप्त कथा के अनुसार एक बार जब देवी काली के मन में आया कि वह पुनः अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें, तो यह सोचकर देवी अंतर्धान हो जाती हैं। भगवान शिव जब देवी को को अपने समक्ष नहीं पाते तो व्याकुल हो जाते हैं और उन्हें ढूंढने का प्रयास करते हैं।
शिव जी, महर्षि नारद जी से देवी के विषय में पूछते हैं, तो नारद जी उन्हें देवी का बोध कराते हैं। वे कहते हैं कि शक्ति के दर्शन आपको सुमेरु के उत्तर में हो सकते हैं। वहीं देवी की प्रत्यक्ष उपस्थित होने की बात संभव हो सकेगी।
तब भोलेनाथ की आज्ञानुसार नारद जी देवी को खोजने के लिए वहां जाते हैं। महर्षि नारद जी जब वहां पहुंचते हैं तो देवी से शिव जी के साथ विवाह का प्रस्ताव रखते हैं यह प्रस्ताव सुनकर देवी क्रुद्ध हो जाती हैं और उनकी देह से एक अन्य षोडशी विग्रह प्रकट होता है और इस प्रकार उससे छाया विग्रह 'त्रिपुर-भैरवी' का प्राकट्य होता है। गुप्त नवरात्रि में मां त्रिपुर भैरवी की यह कथा पढ़ने का विशेष महत्व है।
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