महाराष्ट्र में ‘पवार पॉलिटिक्स’के भ्रमजाल में फंसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस !
महाराष्ट्र की राजनीति में कई बार सरकार बनाने और बिगाड़ने में अहम रोल निभाग चुका पवार परिवार की पॉलिटिक्स पर इस समय सबकी नजर है। विधानसभा चुनाव के बाद जब शिवसेना ने मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भाजपा के साथ अपने 30 साल पुराने गठबंधन को एक झटके में खत्म कर दिया तो इसके पीछे मराठा छत्रप और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की बड़ी भूमिका को माना गया। शिवसेना की भाजपा से बगावत को शरद पवार के एक तीर से दो शिकार करने की सियासत के तौर पर देखा गया।
मोदी सरकार में शिवसेना के कोटे से मंत्री अरविंद सावंत के इस्तीफे के बाद जब यह तय माना जा रहा था कि अब महाराष्ट्र में शिवेसना की सरकार आराम से बन जाएगी तब शरद पवार ने शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कई ऐसे बयान दिए जिससे शिवसेना भंवर जाल में फंसती हुई दिखाई दी। भाजपा के साथ दोस्ती तोड़ने वाली शिवसेना के समर्थन को लेकर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कुछ भी बोलने से इंकार दिया।
इतना ही नहीं जब दिल्ली में शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले तो शिवसेना के सामने आगे कुंआ और पीछे खाई वाली स्थिति हो गई। आखिरकार पवार पॉलिटिक्स के दांव में फंसी शिवसेना एनसीपी की शर्तो पर सत्ता के बंटवारे के फॉर्मूल पर तैयार हुई और जैसे तैसे महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार का रास्ता साफ हुआ है और शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का एलान किया।
लेकिन शरद पवार के इस एलान के 12 घंटे के अंदर एक बार फिर सूबे की सियासत में पवार पॉलिटिक्स का दम देखने को मिला। इस बार चाचा शरद पवार से राजनीति का ककहरा सीखने वाले भतीजे अजित पवार ने ऐसा दांव चला जिससे महाराष्ट्र के साथ पूरा देश हैरान हो गया है। चाचा से बगावत कर अजित पवार भाजपा के खेमे में खड़े हो गए और डिप्टी सीएम पद की शपथ भी ले ली।
डिप्टी सीएम के पद की शपथ लेने वाले अजित पवार भले ही अब भी एनसीपी विधायकों के भाजपा को समर्थन का दावा कर रहे हो लेकिन उनके साथ शपथ ग्रहण समारोह में राजभवन पहुंचने वाले अधिकांश विधायकों अब शरद पवार के साथ होने की बात कही है। ऐसे में अब ‘पवार पॉलिटिक्स’ ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी है।
महाराष्ट्र में नई सरकार को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई होगी जिसमें विपक्ष की तरफ से तुंरत फ्लोर टेस्ट की मांग की गई है। ऐसे में अगर आज सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत तुंरत फ्लोर टेस्ट करने का कोई आदेश दे देता है तो निश्चित तौर पर देवेंद्र फडणवीस मुसीबत में फंस सकते है।
पवार पॉलिटिक्स का ‘भ्रमजाल’ - सत्ता के संग्राम में पल – पल बदलते समीकरणों और सियासी दांवपेंच से महाराष्ट्र में पवार पॉलिटिक्स का ऐसा भ्रमजाल बन गया है जिसके बाद यह अंदाजा लगाना मुश्किल है सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा। सत्ता के पावर हालिस करने के लिए पवार घराने में चाचा और भतीजे के दांव से ऐसा भ्रम पैदा हुआ है कि इस खेल में कब कौन किस पर भारी पड़ रहा है,कब कौन किसको मात दे रहा है इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल हो गया है।
रविवार दोपहर बाद डिप्टी सीएम अजित पवार ने ट्वीट कर शरद पवार को अपना नेता मानते हुए कहा कि वह एनसीपी में है और हमेशा एनसीपी में ही रहेंगे। अजित पवार ने ट्वीटर पर अपना प्रोफाइल बदलते हुए खुद को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम लिखा और कहा कि भाजपा और एनसीपी गठबंधन की सरकार 5 साल चलेगी। इसके साथ ही अजित पवार ने पीएम नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के केंद्रीय नेताओं को बधाई देने के लिए शुक्रिया कहा। भतीजे अजित पवार के इस ट्वीट के बाद चाचा शरद पवार ने ट्वीट कर पलटवार करते हुए उन पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका बयान गुमराह करने वाला है।