Last Modified: नई दिल्ली ,
शनिवार, 28 दिसंबर 2013 (14:37 IST)
हिंसक घटनाओं ने हिलाया देश को
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नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक दंगे, बस्तर में झीरम घाटी में नक्सली हमला और किश्तवाड़ में हुई हिंसा सहित कुछ ऐसी बर्बर घटनाएं हुईं, जिन्होंने यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि क्या सचमुच हम सभ्य समाज में रह रहे हैं।
सितंबर माह में मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा हुई। इस हिंसा ने मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। मुजफ्फरनगर के हालात ऐसे बेकाबू हुए कि वहां सेना तैनात की गई और अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया। हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जान गई और 40,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।
हजारों लोग अपने घर-गांव छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हुए और बढ़ती ठंड में खस्ताहाल तंबुओं को छोड़कर वापसी की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। सितम्बर महीने की 7 तारीख से शुरू हुए इन सांप्रदायिक दंगों ने सभ्य समाज को झकझोरकर रख दिया।
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में झीरम घाटी के घने जंगल में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा के दौरान पार्टी नेताओं के काफिले पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 17 लोग मारे गए और पूर्व केंद्रीय मंत्री वीसी शुक्ल सहित 19 अन्य घायल हो गए।
25 मई को हुए इस हमले में नक्सली अपने साथ छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके पुत्र दिनेश और आठ अन्य लोगों को बंधक बनाकर ले गए और अगले दिन इन सबके गोलियों से बिंधे शव बस्तर में मिले। हमले में गंभीर रूप से घायल पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता विद्याचरण शुक्ल का गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में 11 जून को निधन हो गया।
नौ अगस्त को जम्मू में दो समुदायों में हुई हिंसक झड़पों में 2 लोग मारे गए और 20 अन्य घायल हो गए। इन हिंसक झड़पों के कारण कानून-व्यवस्था बनाने में स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए सेना को बुलाया गया। प्रभावित जिलों में करीब दस दिन तक कर्फ्यू लगाया गया।
हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित किश्तवाड़ शहर रहा। जम्मू से 226 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जिले में उस समय तनाव पैदा हो गया था, जब ईद की नमाज के बाद कुछ लोगों के समूह ने राष्ट्र विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए थे। किश्तवाड़ में सांप्रदायिक तनाव को लेकर जम्मू-कश्मीर के गृह राज्यमंत्री सज्जाद किचलू ने इस्तीफा दे दिया।
नई दिल्ली में 15 अप्रैल को पांच वर्षीय एक बच्ची से उसके 22 वर्षीय पड़ोसी ने क्रूरतापूर्वक बलात्कार किया था और उसे मारने की कोशिश की थी। बच्ची को गंभीर हालत में एम्स में भर्ती कराया गया।
इस घटना के विरोध में दिल्ली पुलिस प्रमुख को हटाने की मांग को लेकर इंडिया गेट, पुलिस मुख्यालय, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास के समक्ष प्रदर्शन किए गए। घटना के आरोपी पकड़े गए।
उत्तरप्रदेश में तीन मार्च को प्रतापगढ़ में एक ग्राम प्रधान की भूमि विवाद के चलते हत्या होने के बाद वहां गए एक डीएसपी जिया उल हक की भीड़ ने कथित तौर पर हत्या कर दी।
दिवंगत अधिकारी की पत्नी ने पति जिया उल हक की हत्या के पीछे उत्तरप्रदेश के कुंडा के विधायक और मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का हाथ होने का आरोप लगाया और राजा भैया को इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि मामले की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई और वे फिर मंत्री बन गए।