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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011 (18:27 IST)

लोकपाल पर टीम अन्ना का सरकार पर हमला

कहा- संसदीय समिति की रिपोर्ट भरोसेमंद नहीं

लोकपाल पर टीम अन्ना का सरकार पर हमला -
मजबूत लोकपाल विधेयक के लिए अन्ना हजारे के अनशन से दो दिन पहले उनकी टीम ने शुक्रवार को सरकार पर हमले तेज कर दिए और इस मुद्दे पर स्थायी समिति की रिपोर्ट की ‘विश्वसनीयता’ पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इसे सिर्फ 12 सदस्यों का समर्थन हासिल है।

टीम अन्ना ने यह भी कहा कि स्थायी समिति के प्रस्तावों का वे ‘पुरजोर’ विरोध करेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस विधेयक से देश की भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली दो कदम और पीछे चली जाएगी।

टीम अन्ना के प्रमुख सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि स्थायी समिति में 30 सदस्य हैं। दो सदस्यों ने कभी इसमें हिस्सा नहीं लिया। 16 सदस्य इससे असहमत हैं। इसलिए इस रिपोर्ट को सिर्फ 12 सदस्यों की सहमति हासिल है। सात कांग्रेस के हैं, इसके अलावा लालू प्रसाद यादव, अमरसिंह और मायावती की बसपा के सदस्य हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट की यही विश्वसनीयता है।
केजरीवाल ने दावा किया कि समिति की अनुशंसाओं को अगर लागू किया गया तो इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा और सीबीआई की कार्यप्रणाली बंट जाएगी। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट हमारी भ्रष्टाचार निरोधक प्रणाली को कदम पीछे ले जाएगा। हमें इस रिपोर्ट का पुरजोर विरोध करना चाहिए।

संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक सिंघवी ने इन आशंकाओं को खारिज करने की कोशिश की कि लोकपाल को संवैधानिक संस्था बनाने से इसमें विलंब होगा और कहा कि प्रक्रिया एक दिन में पूरी की जा सकती है।

स्थायी समिति के प्रस्तावों के विरोध में हजारे रविवार को एक दिन का अनशन करेंगे। प्रस्ताव में उनकी मुख्य मांगों को शामिल नहीं किया गया है, जैसे निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाना और सिटीजन्स चार्टर लागू करना। सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी ने भी केजरीवाल से सहमति दिखाई और कहा कि सीबीआई की जांच की शक्तियों को लोकपाल से बाहर रखकर नुकसान किया गया है- क्या संसद इसे पूर्ववत करेगी?

बेदी ने कहा कि लोकपाल को कमजोर करने की आशंका अवांछित नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों को जानना आवश्यक है कि सीबीआई की जांच शक्तियां लोकपाल के साथ आवश्यक क्यों है। इसे पूर्ववत करने के लिए पूरे देश को एकजुट होकर विरोध करने की जरूरत है और सीबीआई को लोकपाल के तहत लाया जाए अन्यथा हमारे पास जो है वह भी कमजोर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकपाल बनाने का कारण सीबीआई जांच को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करना था।

उन्होंने कहा कि लोकपाल को जांच की शक्ति नहीं दी गई है। इसे पूछताछ की शक्ति दी गई, जिसकी जरूरत नहीं है। सीबीआई को प्रारंभिक जांच करने की जरूरत है ताकि जांच में आगे बढ़ा जा सके। उन्होंने पूछा कि प्रारंभिक जांच को आप पूरी जांच से अलग कैसे कर सकते हैं? इसलिए प्रारंभिक जांच करने की शक्ति सीबीआई से लेकर लोकपाल विधेयक को एक तरह से और कमजोर कर दिया गया। बेदी ने उम्मीद जताई कि संसद की स्थायी समिति के प्रस्ताव को उलट देगी। हमें उम्मीद है कि संसद एकमत से सीबीआई को स्वतंत्र करेगी। (भाषा)