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Written By भाषा

मून इंपैक्टर ने जीता वैज्ञानिकों का दिल

मून इंपैक्टर ने जीता वैज्ञानिकों का दिल -
चंद्रयान-प्रथम के साथ मून इंपैक्टर प्रोब नाम के उपकरण की सफलता के बारे में वैज्ञानिक बँटे हुए थे, लेकिन जब उसने धरती के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा की शानदार तस्वीरें भेजीं तो वैज्ञानिकों में खुशी छा गई।

चौदह नवम्बर 2008 को चंद्रयान-प्रथम से अलग होकर चाँद की सतह पर उतरा मून इंपैक्टर प्रोब (एमआईपी) अंतरिक्ष यान के साथ भेजे गए 11 वैज्ञानिक उपकरणों में से एक था और इसे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की सलाह पर शामिल किया गया था।

एमआईपी ने न सिर्फ चंद्रमा की अद्भुत तस्वीरें भेजीं, बल्कि चंद्रमा की सतह पर तिरंगा झंडा भी स्थापित किया। चंद्र अभियान से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक नरेंद्र भंडारी ने कहा कि कुछ वैज्ञानिक हालाँकि 28 किलोग्राम वजन के एमआईपी को उपकरण के रूप में चंद्रयान के साथ भेजे जाने के अनिच्छुक थे और वे चाहते थे कि इसकी जगह कुछ और उपकरण भेजे जाएँ।

उन्होंने कहा एक ओर जहाँ इस अकेले उपकरण का वजन 28 किलोग्राम था, वहीं इसकी जगह भेजे जाने वाले 10 उपकरणों का भार सिर्फ 50 किलोग्राम होता।

भंडारी ने कहा कि कोई भी वैज्ञानिक होता तो वह 28 किलोग्राम वजन के उपकरण के एक प्रयोग के बजाय 50 किलोग्राम में अन्य विविध प्रयोगों की सलाह देता, लेकिन जब एमआईपी ने चंद्रमा की विस्मित कर देने वाली तस्वीरें भेजना शुरू किया तो वैज्ञानिकों में खुशी छा गई। उन्होंने चंद्रमा की छह किलोमीटर की ऊँचाई से खींची गई तस्वीरें इससे पहले कभी नहीं देखी थीं।

एमआईपी दक्षिणी ध्रुव के बिलकुल नजदीक उतरा था और इसने वहाँ भारत की भौतिक उपस्थिति दर्ज कराई। इस उपकरण से चंद्रमा पर भारत की उपस्थिति दर्ज कराने में ही नहीं, बल्कि वहाँ आसान तरीके से भविष्य में अंतरिक्ष यान उतारने संबंधी प्रौद्योगिकी के बारे में जानने में भी मदद मिली।